राफेल डील केस में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रिव्यू पिटीशन, मोदी सरकार को मिली क्लीन चिट
नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल फाइटर जेट्स डील मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को गुरुवार को क्लीन चिट देते हुए कहा कि पुनर्विचार याचिकाएं (रिव्यू पिटीशन) सुनवाई योग्य नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी दलीलों को खारिज कर दिया जिनमें 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। इस मामले में फैसला सुनाते हुए सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा हमने पाया कि पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं। इस पीठ में जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ भी शामिल रहे। राफेल डील पर शक करने की कोई गुजाइंश नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर के फैसले में कहा था कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने में निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नही है। काेर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि 58,000 करोड़ रुपये की इस डील के संबंध में एफआईआर दर्ज करने की जरूरत है। पिछले साल दिसंबर में कोर्ट ने कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसके बाद अरुण शौरी और भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रखा था बीती 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इनकी दलीलों पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। राफेल डील मामला काफी समय से चर्चा में हैं। पीएम मोदी ने पेरिस में 10 अप्रैल 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद के साथ बातीचत के बाद 36 राफेल जेट खरीदने की घोषणा की थी। इस पर अंतिम मुहर 23 सितंबर 2016 को लगी थी और फिक्स टाइम पीरियड में विमानों की आपूर्ति शामिल थी। भारत को इसकी खेप मिलनी भी शुरू हो गई है। इस मामले को एक ओर जहां मोदी सरकार उपलब्धि बता रही थी। वहीं कांग्रेस पार्टी इसमें घोटाले का आरोप लगा रही थी।