बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया सख्त फैसला, जानें फैसले से जुड़ी जरूरी बातें
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह है कि क्या किसी अपराध के लिए आरोपी या दोषी होने पर संपत्ति को गिराया जा सकता है? एक घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। इसके साथ ही कोर्ट का कहना है कि किसी भी आरोपी का घर नहीं गिराया जा सकता है, यह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। फैसले की शुरूआत में कोर्ट ने कहा कि- अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी ना छूटे। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते। बिना सुनवाई किए किसी आरोपी को दोषी नहीं कहा जा सकता। कोर्ट का ये भी सवाल था कि क्या कार्यपालिका को किसी आरोपी के परिवार की सुरक्षा छीनने की परमिशन दी जा सकती है?कोर्ट के फैसले से जुड़ी जरूरी बातें
1- कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए किसी का घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि व्यक्ति आरोपी है, राज्य आरोपी के खिलाफ मनमानी नहीं कर सकता।2- बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड जैसा है, जो कि संविधान के खिलाफ है। 3- सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं माना जा सकता। 4- कानून में निष्पक्षता पर विचार करें। 5- कानून मनमाने काम की परमिशन नहीं देता, सिलेक्टेड डिमोलेशन से सत्ता के गलत इस्तेमाल का सवाल उठता है।6- आरोपी को भी कानून सुरक्षा देता है, कानून को खत्म नहीं किया जा सकता। 7- लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है। 8- अगर कार्यपालिका किसी आरोपी का घर मनमाने तरीके से गिराती है तो यह संविधान को ना मानने जैसा है। 9- अधिकारियों को मनमाने तरीके से काम के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। 10- अधिकारियों को सत्ता के गलत इस्तेमाल पर माफ नहीं किया जा सकता। 11- कानून ना मानने पर घर गिराते टाइम नगरपालिका में कानून को देख लेना चाहिए, इलीगल कंस्ट्रक्शन पर समझौता किया जा सकता है या फिर घर का थोड़ा हिस्सा ही गिराया जा सकता है। 12- अधिकारियों को दिखाना होगा कि कंस्ट्रक्शन इलीगल है और केवल एक हिस्से को नहीं गिराया जा सकता है। 13- नोटिस में बुलडोजर एक्शन का कारण और सुनवाई की डेट बतानी होगी।
14- 3 महीने में डिजिटल पोर्टल बनाया जाए, जिसमें नोटिस की जानकारी और मॉडल के पास पब्लिक प्लेस पर नोटिस जारी करने की डेट बताई गई हो।15- पर्सनल सुनवाई की डेट जरूर दी जाए। 16- नोटिस में बोलडोजर एक्शन की जरूरत बताई जाए।17- सड़क, रेलवे ट्रैक और कुछ जगहों के पास ही इलीगल कंस्ट्रक्शन को गिराया जा सकता है, इसमें भी प्रोसेस को मानना जरूरी है।18- केवल उसी इलीगल कंस्ट्रक्शन को गिराया जाएगा, जिसका निपटारा नहीं किया जा सकता। 19- अगर इलीगल तरीके से कंस्ट्रक्शन गिराया जाता है तो यह कानून की अवमानना होगी। इसके लिए पेनाल्टी देनी पड़ेगी। 20- इलीगल कंस्ट्रक्शन को गिराते टाइम स्पॉट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस के सामने तोड़-फोड़ की वीडियो बनाई जाअगी, जो कि पोर्टल पर पब्लिश की जाएगी। 21- घर गिराने के आदेश के बाद इसके खिलाफ अपील के लिए टाइम दिया जाना चाहिए, बिना अपील किए घर गिरने के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नही है।22- घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा जाएगा। नोटिस से 15 दिनो का टाइम नोटिस तामील होने के बाद है। 23- तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को जानकारी दी जाएगी।
24- घर गिराने के लिए प्रभारी नोडल अधिकारी कलेक्टर और डीएम नियुक्त करेंगे।25- नोटिस के 15 दिनों के अंदर मकान मालिक को इलीगल कंस्ट्रक्शन को हटाने का मौका दिया जाएगा।26- अथॉरिटी पर्सनल सुनवाई करेगी, जिसको रिकॉर्ड किया जाएगा। इसके बाद लास्ट ऑर्डर दिया जाएगा। 27- सभी डायरेक्शन्स को माना जाना चाहिए और इनकी अवमानना करने पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अधिकारी गिराए गए घर को अपनी लागत पर वापस करने के लिए जिम्मेदार होंगे।28- सभी मुख्य सचिवों को डायरेक्शन दिए जाने चाहिए।
बिना नोटिस के घर नहीं गिराया जा सकताकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिलाओं और बच्चों को रातों-रात बाहर फेंका जाना दुखद है। मालिक को नोटिस दिए बिना कंस्ट्रक्शन को नहीं गिराया जा सकता। 15 दिन का कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए। नोटिस जारी होने के बाद कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट को ऑटो जनरेटेड ईमेल भेजा जाना चाहिए, जिससे बैकडेटिंग को रोका जा सके।