Sabarimala Temple विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच के पास भेजा, जानें पूरा मामला
कानपुर। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार याचिका) पर आज फैसला सुनाया। न्यूज एजेंसी एएनअाई के मुताबिक सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि कि पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश इस मंदिर तक सीमित नहीं है, इसमें मस्जिदों और पारसी मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश भी शामिल है। इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर ही नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अय्यारी में महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा।
#SabarimalaTemple review petitions in Supreme Court: Chief Justice of India says, "The entry of women into places of worship is not limited to this temple only. It is also involved in the entry of women into mosques." pic.twitter.com/ETyxOodhHC— ANI (@ANI)
पुनर्विचार याचिकाओं को बड़ी बेंच को सौंप दिया
सुप्रीम कोर्ट ने आज 3:2 के बहुमत से पुनर्विचार याचिकाओं को अब बड़ी बेंच को सौंप दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ इस फैसले के विपक्ष में रहे। सबरीमाला केस 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश से जुड़ा है। इस पर काफी समय से विवाद हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 28 सितंबर, 2018 को केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र महिलाओं को प्रवेश का आदेश दे दिया था।
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महिलाओं के माैलिक अधिकारों का उल्लंघन
इस दाैरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह बैन महिलाओं के मौलिक अधिकारों और सवैंधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद इस पर बड़ी संख्या में लोग नाराज हो गए थे। ऐसे में कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं। सबरीमाला मंदिर हिंदू देवता अयप्पा को समर्पित है और उन्हें शाश्वत ब्रह्मचर्य माना जाता है। परंपरा अनुसार लोग इसका कारण महिलाओं के मासिक धर्म को बताते हैं। उनका कहना है कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश से अयप्पा देवता नाराज हो जाएंगे।