सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए सवाल किया है कि बिना नेता विपक्ष की अनु‍पस्थिति में लोकपाल का चुनाव कैसे किया जाएगा. सर्वोच्‍च अदालत ने कहा है कि नेता विपक्ष की अबसेंस को नजरअंदाज नही किया जा सकता.


कैसे बनाओगे लोकपालदेश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से प्रश्न किया है कि वह विपक्ष के नेता के अनुपस्थिति में लोकपाल की नियुक्ति कैसे की जाएगी. यूपीए सरकार ने जाते जाते लोकपाल अधिनियम पास कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से सरकार ने पूछा है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाए गए अधिनियम के अनुसार लोकपाल चयन समिति में लोकसभा विपक्ष के नेता का होना भी जरूरी है. गौरतलब है कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने हाल ही में कांग्रेस को नेता विपक्ष का पद देने से मना कर दिया है. दरअसल नेता विपक्ष का पद सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को मिलता है और इस विपक्षी पार्टी के पास सदन के 10 परसेंट सांसद होने चाहिए. प्रशांत भूषण ने की याचिका दाखिल


आम आदमी पार्टी लीडर प्रशांत भूषण ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र से जवाब मांगा है. जहां एक तरफ केंद्र सरकार ने नेता विपक्ष पद देने से मना कर दिया है. वहीं दूसरी ओर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को इस पद की इंपॉर्टेंस बताने का प्रयास किया है. क्या कहा अटॉर्नी जनरल

इस मामले में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया है कि नेता विपक्ष के पद के लिए किसी भी पार्टी के पास कम से कम 10 परसेंट सांसद होने चाहिए. लेकिन कांग्रेस के पास सिर्फ 44 सांसद हैं इसलिए उन्हें यह पद नही दिया जा सकता और इस बार लोकपाल नियुक्ति में नेता विपक्ष का पद खाली रहेगा.

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Posted By: Prabha Punj Mishra