यह विशालकाय ब्लैक होल एक तारे को खाए जा रहा है, सूर्य से 2 करोड़ गुना ज्यादा है इसकी ताकत!
धरती से 15 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर घट रही इस घटना को किया रिकॉर्ड
कानपुर। अमेरिका में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की एक टीम ने धरती से 15 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर अंतरिक्ष की एक बहुत ही शक्तिशाली और भयानक घटना को होते हुए देखा है। डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष की इस घटना के दौरान एक बहुत ही विशालकाय ब्लैक होल एक बड़े तारे को धीरे-धीरे करके निगल रहा है। एक्सपर्ट टीम के मुताबिक इस प्रक्रिया के दौरान जो खतरनाक कॉस्मिक पावर या ऊर्जा निकल रही है वह हमारे सूरज की तुलना में 2 करोड़ गुना ज्यादा शक्तिशाली है। दूसरे शब्दों में कहें तो ब्लैक होल द्वारा निगले जाने के दौरान तारे और ब्लैक होल के घर्षण से जो ऊर्जा तेज गति से अंतरिक्ष में चारो ओर फैल रही है, वह हमारे सूरज द्वारा पूरे साल में पैदा की गई ऊर्जा का 125 अरब गुना ज्यादा है। इतने बड़ी संख्या को समझ पाना हमारे आपके लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी आसान नहीं है।
ब्रम्हांड की शुरुआत में होती थीं ऐसी ही ढेरों घटनाएंइंडीपेंडेंट की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी के साथ मिलकर वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में इस रिसर्च को अंजाम दे रही है। यह रिसर्च टीम कई शक्तिशाली रेडियो और इंफ्रारेड टेलिस्कोप की मदद से आकाशगंगाओं के टकराने के दौरान इस विशालकाय घटना को पकड़ पाई है। हालांकि वैज्ञानिकों की टीम ने बताया है कि हमारे ब्रह्मांड के निर्माण के शुरुआती दिनों में ऐसी घटनाएं काफी संख्या में होती रही हैं। यानी कि हमारे ब्रह्मांड के निर्माण के दौरान तमाम बड़े ब्लैक होल्स ने तारों को निगल कर खत्म कर दिया था।
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मांड में मौजूद ब्लैक होल अत्यधिक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण वाले और बहुत ही भारी घनत्व वाले होते हैं। इनकी खींचने की शक्ति इतनी ज्यादा होती है कि किसी भी तरह का रेडिएशन इनके प्रभाव और गुरुत्वाकर्षण से बचकर बाहर नहीं निकल सकता यहां तक कि प्रकाश भी इनके अंदर समा जाता है। ब्लैक होल्स में गुरुत्वाकर्षण की इतनी ज्यादा ताकत होती है कि इनके चारों और धूल और गैस अथाह मात्रा में घूमती रहती है। कई बार ब्लैक होल्स आपस में जुड़ कर एक और भी ज्यादा शक्तिशाली और बड़े ब्लैक होल का निर्माण करते हैं। जब ब्रह्मांड के बड़े तारों की ऊर्जा खत्म हो जाती है और वह मंद पड़ जाते हैं तो वह किसी एक ब्लैक होल का निर्माण कर देते हैं।
ब्लैक होल्स को ऐसे समझाया था स्टीफन हॉकिंग नेवर्ल्ड फेमस वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने ब्रम्हांड में मौजूद ब्लैकहोल के ऊपर जबरदस्त काम किया था। साल 1959 में हॉकिंग ने ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी में स्नातक की पढ़ाई शुरु की थी। यही वो दौर था, जब दुनिया भर के वैज्ञानिक ब्लैकहोल को लेकर रिसर्च करना शुरु कर चुके थे। हॉकिंग ने भी ब्लैकहोल्स को लेकर अपनी गहरी रिसर्च शुरु की। कहा जाता है कि उन्होंने तो ब्रम्हांड के कई ब्लैकहोल्स को नाम भी दे दिए थे। इसी दौरान उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के कोस्मोलॉजिस्ट डेनिस स्काइमा के निर्देशन में PHD शुरु की। ब्लैकहोल्स के बारे में हॉकिंग ने लॉजिक्स ने ही दुनिया भर के वैज्ञानिकों को नई दिशा में और नई तरह से सोचने की प्रेरणा दी। हॉंकिंग के मुताकिब ब्लैक होल्स का आकार हमेशा ही बढ़ता रहता है और कभी भी कम नहीं होता। यहीं नहीं इस ब्रम्हांड में कोई भी ऐसी चीज नहीं है, जो ब्लैक होल ताकत और उसकी ग्रैविटी से बचकर बाहर रह सके। ब्लैक होल हर चीज को अपने भीतर खींच लेता है। हॉकिंग ने ही दुनिया को बताया कि दुनिया में छोटे बड़े कई आकार के ब्लैकहोल मौजूद हैं और ये अपने आसपास की हर चीज जैसे ग्रह और तारों को अपने भीतर खींच लेते हैं और बढ़ते रहते हैं। उनका आकार एक फूलते हुए गुब्बारे की तरह बढ़ता रहता है। किसी ब्लैकहोल में जितनी ज्यादा चीजें समा जाएंगी, उसका भार उतना ही बढ़ेगा और साथ ही उसका आकार भी बढ़ता जाएगा।
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