Success Story : बिना मिट्टी के हो रही केमिकल फ्री फार्मिंग, ज्यादातर अपना रहे फ्लैट वाले
कानपुर (फीचर डेस्क)। Success Story : दिल्ली बेस्ड स्टार्टअप एग्रो2ओ अपनी इनोवेटिव टेक्नोलॉजी से लोगों को छोटी सी जगह पर बिना मिट्टी के ही अपने मनचाहे प्लांट्स उगाने की फेसिलिटी देता है और ऐसा पॉसिबल होता है इसकी हाइड्रोपॉनिक्स टेक्नीक से। इसकी हेल्प से आप खूबसूरत फ्लावर्स, हर्ब्स या वेजिटेबल्स का प्लांट भी अपने ड्राइंग रूम या लिविंग रूम तक में ग्रो कर सकते हैं। ऐसे में अब सबसे पहला सवाल आपके मन में भी उठा होगा कि आखिर क्या है ये हाइड्रोपॉनिक्स टेक्नोलॉजी जिसकी हेल्प से ये सब पॉसिबल होता है, आइए जानें।ऑसम है ये टेक्नीक
एग्रो2ओ के फाउंडर यश व्यास इस बारे में बताते हैं कि हाइड्रोपाॅनिक्स बिना मिट्टी के फार्मिंग करने की ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो बहुत कम क्वांटिटी में पानी और न्यूट्रीएंट्स की हेल्प से पॉसिबल होती है। व्यास कहते हैं कि यूएस, ईयू और सिंगापुर जैसी जगहों पर दुनिया में बड़ी तेजी के साथ ग्रो करने वाली ये लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है और अब ये पोर्टेबल होम किट के जरिए ज्यादातर घरों का हिस्सा बन चुकी है। इस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा पानी की बचत भी है। इस बारे में व्यास का कहना है कि आमतौर पर पौधों की सिंचाई के लिए ठीक- ठाक पानी की जरूरत होती है और उसके बाद पानी खत्म ही होता है पर इस सिस्टम में एक बार यूज किए गए पानी को री- साइकिल करने की फैसेलिटी है जो एक ही बार में बार- बार पौधों में पानी देने के काम को पूरी तरह से खत्म कर देती है।अब तक मिले तीन सौ प्री- ऑर्डरएग्रो2ओ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर बेस्ड सिस्टम्स पौधे उगाने के प्रॉसेस को पूरी तरह से मेंटेन करता है। कंपनी के फाउंडर यश व्यास के मुताबिक उनकी डिवाइस ने फ्लैट कल्चर में भी लोगों को घर के छोटे से कोने, ड्राइंग रूम या बेडरूम तक में फार्मिंग जैसी सुविधा का सुख दिया है। ऐसे में इनकी कंपनी को बीते तीन महीनों में इसके 3 सौ से ज्यादा प्रीऑर्डर भी मिल चुके हैं। खासकर मेट्रो सिटीज में रह रहे लोग जो जैविक खेती से लगाव रखते हैं लेकिन किसी वजह से वह इस ओर बढ़ नहीं पा रहे हैं। उन सभी लोगों के लिए यह डिवाइस खासी हेल्पफुल साबित होगी।बेहद खूबसूरत है ये ट्रिक
व्यास कहते हैं कि असल में इस पूरी टेक्नीक को एक खूबसूरत डिवाइस में प्रेजेंट किया गया है। इस डिवाइस में पौधे के बीज को इंप्लांट किया जाता है। उसके बाद का सारा काम इसके अंदर मौजूद मशीनरी करती है। डिवाइस के अंदर ही पानी के लिए एक छोटी सी बॉटल फिट है, जिससे पौधे को ऑटोमेटिक पानी मिलता रहता है और वही पानी रीसाइकिल होता रहता है। डिवाइस का मशीनरी सिस्टम उस बीज से आपको उसका खूबसूरत पौधा देने का काम करता है, जो केमिकल फ्री होता है।ऐसे आया आइडिया
इस डिवाइस को मार्केट में उतारने के आइडिया को लेकर व्यास बताते हैं कि वह साइंस स्टूडेंट रहे हैं। अपनी स्टडीज के दौरान उन्होंने इस बात पर गौर किया कि बिजी लाइफ और फ्लैट सिस्टम की बदौलत जगह की कमी के चलते घर पर जैविक सब्जियों की फार्मिंग करना लगभग नामुमकिन सा हो चुका है। एक ओर बाजार में मिलने वाली सब्जियों में कीटनाशक का भारी इस्तेमाल उन्हें हेल्थ के लिए हार्मफुल बना देता है। वहीं आम बाजार में मौजूद जैविक सब्जियों के दाम भी इन्हें आम लोगों की पहुंच से दूर कर देते हैं। फैमिली के बीच कई बार इस तरह की प्रॉब्लम्स को डिस्कस होता देख उनके मन में भी ख्याल आया कि जब साइंस ने इतनी तरक्की पाई ही है, तो इसका यूज कम जगह पर केमिकल फ्री फार्मिंग के लिए क्यों नहीं किया जा सकता। बस तभी से वह लग गए हाइड्रोपॉनिक्स सिस्टम की रिसर्च में। रिसर्च के बाद मिलारिजल्ट उनके बहुत काम आया।features@inext.co.inSuccess Story :'स्टड एंड स्टोंस' ने इनोवेशन से दी फैशन इंडस्ट्री को शाइन