दिल्ली सरकार ने एक बार फिर से प्रदूषण पर रोकथाम के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला एक बार फिर से लागू किया है। साल 13 से 17 नवंबर के बीच ऑड और ईवन नंबर की प्राइवेट गाड़ियां एक दिन बीच करके ही चल सकेंगी। पिछले साल भी दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया था लेकिन ये साफ़ नहीं है कि इसके क्या नतीजे निकले। हालांकि ये दावे ज़रूर किए गए कि इसे प्रदूषण कम होगा लेकिन दिल्ली और मुंबई की सड़कों पर ट्रैफिक की भीड़-भाड़ को देख कर तो ऐसा नहीं लगता लेकिन दुनिया के परिवहन विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने कार-मुक्त शहरों की कल्पना करनी शुरू कर दी है।

ऑड-ईवन फार्मूला

पेरिस में 2020 तक डीज़ल कारों पर पूरी तरह से रोक लगाने की योजना है तो वहीं बीजिंग, पेरिस, बोगोटा और लंदन जैसे दुनिया के कई बड़े शहरों में ऑड-ईवन फार्मूला कार-फ्री शहर बनाने की तरफ कुछ छोटे मगर अहम क़दम हैं।

प्रदूषण से परेशान दिल्ली के नागरिकों को अब एक बार फिर से ऑड-ईवन फार्मूला आज़माने का मौक़ा मिल रहा है। इसे लेकर दिल्ली की जनता की राय बंटी हुई है।

कोई कहता है कि जब तक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली बेहतर नहीं होगी ये योजना कामयाब नहीं होगी।

दिल्ली की आबादी एक करोड़ 70 लाख है। वाहनो की संख्या लगभग एक करोड़ है। इसके इलावा अन्य राज्यों से हर दिन लाखों गाड़िया दिल्ली में प्रवेश करती हैं।

 

बीजिंग

बीजिंग और दिल्ली दुनिया के दो सब से अधिक प्रदूषित शहर हैं। दिल्ली की तुलना बीजिंग से ही करना बेहतर है क्योंकि आबादी, गाड़ियों की संख्या और साइज के हिसाब से दिल्ली बीजिंग के बराबर हैं।

बीजिंग में ऑड-ईवन फार्मूला पहली बार 2008 के ओलिंपिक खेलों के दौरान लागू किया गया।

इसके अलावा दो और समय पर इसे लागू किया गया। नयी गाड़ियों की बिक्री पर भी पाबंदी लगायी गयी है। प्रदूषण काफी कम हुआ।

लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में शहर में प्रदूषण एक बार फिर बढ़ा है। इसकी रोकथाम के लिए बीजिंग कई नए रास्ते ढूंढ रहा है। साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को और भी मज़बूत बनाने की कोशिश की जा रही है।


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मेक्सिको सिटी

ऑड-ईवन फार्मूला मेक्सिको की राजधानी में सब से पहले 1984 में लागू किया गया जो 1993 तक चला। इसका पालन न करने वालों को दो हज़ार रुपये से लेकर चार हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया।

योजना के लागू करने के तुरंत बाद प्रदूषण में 11 प्रतिशत की कमी आई लेकिन लोगों ने ऑड और ईवन दोनों रजिस्ट्रेशन नंबर की कारें खरीदनी शुरू कर दीं जिससे सड़कों पर कारों की संख्या और भी बढ़ गई। प्रदूषण के स्तर में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई।

हालत इतनी बुरी हो गयी कि संयुक्त राष्ट्र ने मैक्सिको सिटी को 1992 में दुनिया का सब से प्रदूषित शहर घोषित किया। अधिकारियों को ये फार्मूला रद्द करना पड़ा।

 

लंदन

2003 में पहली बार सेंट्रल लंदन में वाहनों के प्रवेश पर 5 पाऊंड भीड़ शुल्क लागू किया गया जो अब तक जारी है। इन दिनों भीड़ शुल्क 10 पाऊंड है।

अधिकारियों ने बाद में शहर में कम उत्सर्जन क्षेत्रों की पहचान की जहाँ केवल सबसे अच्छा उत्सर्जन मानकों वाले वाहनों के आने की अनुमति दी गई।

ये योजना स्टॉकहोम में भी लागू है। अधिकारी कहते हैं कि लंदन में प्रदूषण का स्तर काफी नीचे आया है।

 

Posted By: Chandramohan Mishra