सक्सेस मंत्र: इस शिल्पकार से सीखें काम के प्रति समर्पण, खुलेंगी नई राहें
एक गांव में एक मुखिया रहता था। वो अपने खाली प्लॉट के ऊपर एक मंदिर के निर्माण में लगा था। वह रोज निरीक्षण करने जाता था ताकि वो यह देख सके कि जो मजदूर काम में लगे हुए हैं, वह ठीक से अपना काम कर रहे हैं या नहीं। एक दिन जब वह वहां पहुंचा तो उसने देखा कि शिल्पकार के सामने एक ही भगवान की दो प्रतिमाएं हैं। दूसरी प्रतिमा वो बना रहा था। यह देखकर मुखिया ने उससे पूछा कि एक ही भगवान की हमें दो प्रतिमाएं नहीं चाहिए तो फिर तुम दूसरी प्रतिमा क्यों बना रहे हो? शिल्पकार ने जबाब दिया कि जो पहले वाली प्रतिमा है वो थोड़ी ठीक नहीं बनी थी। मैं उससे खुश नहीं था इसलिए मैं इसे दोबारा से बना रहा हूं।
तब मुखिया ने उससे दोबारा पूछा कि यह मूर्ति हमें कितनी ऊंचाई पर रखनी है? शिल्पकार ने जबाब दिया कि यह मूर्ति एक पिलर पर रखी जाएगी जो कि बीस फीट ऊंचा है। यह सुनने के बाद मुखिया ने उससे कहा कि इस मूर्ति को 20 फीट ऊंचाई पर रखने पर कोई इसे देखकर नहीं जान पाएगा कि इसमें क्या कमी है, तो फिर हमें इसे दोबारा बनाने की क्या जरूरत? यह सुनकर शिल्पकार हंसकर उनकी नजरों से नजरें मिलाकर बोला- 'सर, आप सही कह रहे हैं। लोग इस प्रतिमा की कमी को नहीं जान पाएंगे, पर मैं जानता हूं और मेरा दिल जानता है कि मेरा काम अभी ठीक से नहीं हुआ है, इसलिए मैं इसे दोबारा बना रहा हूं।‘
अपना काम गर्व से करेंफ्रेंड्स, आप स्वयं से चुने गए काम में गर्व महसूस करें और उसमें अपना बेस्ट देने की कोशिश करें। मार्टिन लूथर किंग ने कहा है कि आप चाहे स्वीपर ही क्यों न हो अपना काम ऐसा करें कि भगवान भी रुककर देखकर बोले, यहां एक ऐसा स्वीपर रहता था जो अपना काम अच्छे से करता था। आप अपने काम में अपना बेस्ट दें। यकीन मानें, जहां दीवारें होंगी, वहां आपके लिए रास्ते भी बनेंगे, क्योंकि वही आदमी आगे निकल पाता है जो अपने चुने गए काम में आनंद ले और उसमें अपना 100 फीसदी दे।काम की बात1. स्वयं से चुने गए काम में हमेशा अपना 100 फीसदी देने की कोशिश करें।2. काम में अपना बेस्ट देंगे, तो जहां दीवारें होंगी, वहां भी आपके लिए रास्ते बन जाएंगे।