बैडमिंटन में भारत के बढऩे के पीछे इनका हाथ
-क्या बैडमिंटन में हम कभी चीन को पछाड़ पाएंगे?अभी भी हम चीनी खिलाडिय़ों से ज्यादा दूर नहीं हैं. उनके कुछ टॉप रैंकिंग के खिलाडिय़ों को छोडक़र भारतीय खिलाड़ी सभी को हरा सकते हैं. आप कह सकते हैं कि चीनी और भारतीय शटलर 60:40 या 50:50 के अनुपात में प्रदर्शन कर रहे हैं.-क्या उनकी तैयारियां भारतीयों से बेहतर होती हैं?कुछ मामलों में उनकी तैयारियां हमसे बेहतर हैं. वह थोड़ा स्ट्रांग हैं लेकिन धीमे-धीमे यह फासला कम हो रहा है.-आइबीएल में हिदायत से फिर टक्कर होगी. क्या पुराना अनुभव काम आएगा?इतने बड़े इंडोनेशियाई खिलाड़ी को उसके ही घर पर हराना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था. मेरी-उनकी भिड़ंत फिर हो सकती है. मैं इसके लिए तैयार हूं. मैं पहले जैसा ही खेल दिखाऊंगा. कोई विशेष तैयारी नहीं है बस अच्छा खेल खेलना चाहता हूं.
-बैडमिंटन लीग शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई. इस पर क्या कहेंगे?विवाद तो हर खेल में होते रहते हैं. अगर विवादों को छोड़ दें तो यह बहुत बढिय़ा फॉर्मेट है. यह देश के साथ-साथ विदेशी शटलरों को भी बहुत फायदा पहुंचाएगी. मेरे जैसे युवा खिलाडिय़ों के लिए तो यह वरदान है.-नीलामी में आपको जो पैसे मिले उससे खुश हैं?
मैं बहुत खुश हूं. मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मुझपर दिल्ली 40 हजार डॉलर खर्च करेगी.-दर्शक दिल्ली स्मैशर्स से क्या उम्मीदें रखें?हमारे पास वोंग विंग की, एचएस प्रणय, बून होंग तान, कीन कीत कू, नियाचोन जिंदापोन हैं. इसके अलावा ज्वाला गट्टा और वी. दीजू के रूप में डबल्स विशेषज्ञ भी टीम में हैं. हम बाकी टीमों को कड़ी टक्कर देंगे.-कोच गोपीचंद के बारे में क्या कहेंगे?वह जीनियस हैं. वह हम पर बहुत मेहनत करते हैं. सुबह साढ़े चार बजे कोर्ट पर आ जाते हैं और जब तक सत्र खत्म नहीं होता तब तक नहीं जाते. बैडमिंटन में भारत के बढऩे के पीछे उनकी अकादमी का बड़ा हाथ है. वह एक-एक खिलाड़ी के पीछे खड़े होकर उनकी कमियों को बताते हैं.Report by: Abhishek Tripathi (Dainik Jagran)