Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेता जी की मृत्यु का क्या है रहस्य, सामने आई हैं ये 4 थ्योरी
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। सुभाष चंद्र बोस जिन्हें 'नेताजी' के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। आज नेता जी की 125वीं बर्थ एनिवर्सरी है। भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में उनका अहम योगदान रहा था। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ विदेशों से एक भारतीय राष्ट्रीय बल का नेतृत्व किया। वह मोहनदास करमचंद गांधी के समकालीन थे। हालांकि वह गांधी जी के साथ एक सहयोगी के रूप में और फिर विरोधी के रूप में भी रहे। बोस को विशेष रूप से स्वतंत्रता के लिए उग्रवादी नीति के लिए जाना जाता था जबकि गांधी जी अहिंसा के मार्ग पर चलते थे। सुभाष चंद्र बोस जीवित रहते हुए जितने प्रख्यात थे, उनके निधन के बाद तो नेता जी को लेकर और भी चर्चा हुई।
मृत्यु का क्या है रहस्य
नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मौत आज भी एक रहस्य है। सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कैसे हुई, इसको लेकर सरकारी दस्तावेजों में कुछ और लिखा है तो वहीं इतिहासकार अलग राय रखते हैं। कोई उनके प्लेन क्रैश में निधन की बात करता है तो किसी को गुमनामी बाबा याद आते हैं। आइए जानते हैं सुभाष जी के निधन से जुड़ी रहस्यमयी बातें।
प्लेन क्रैश में हुआ निधन
नेता जी के निधन की यह सबसे आम अवधारणा है। भारत सरकार द्वारा सयाक सेन को एक आरटीआई जवाब में कहा गया था। शनावाज समिति की रिपोर्टों पर विचार करते हुए, सरकार ने कहा कि 18 अगस्त, 1945 को जापानी जनरल शिदेई के साथ ताइवान में एक विमान दुर्घटना में नेता जी की मृत्यु हो गई थी और उसी दिन उनके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया और राख को टोक्यो स्थित बौद्ध मंदिर में ले जाया गया।जो अंततः अन्य विवादों का कारण बना।
रिटायर्ड मेजर जनरल जी डी बख्शी द्वारा लिखी गई पुस्तक 'बोस: द इंडियन समुराई' के अनुसार, नेताजी और आईएनए मिलिट्री असेसमेंट नेताजी की विमान दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई थी। उन्हें सोवियत संघ भागने में सुविधा हो सके, इसके लिए यह सिद्धांत लाया गया था। इसलिए, इस पुस्तक ने उनकी मृत्यु के रहस्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि जेल में अंग्रेजों द्वारा यातना के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
1947 तक जीवित थे नेता जी
पेरिस स्थित इतिहासकार जेबीपी मोर ने फ्रांस सीक्रेट सर्विस की रिपोर्ट्स का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि बोस 1947 तक जीवित थे। रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वह भारतीय स्वतंत्रता लीग के पूर्व प्रमुख थे और एक जापानी संगठन हारीरी किकान के सदस्य भी थे। जबकि ब्रिटिश और फिर भारत सरकार नेता जी के विमान हादसे में मौत को ही सच मानती है। हालांकि इस फ्रांसीसी ने उस सिद्धांत का कभी समर्थन नहीं किया।
एक सिद्धांत मौजूद था जिसमें यह भी कहा गया था कि बोस भारत लौट आए और अवध के फैजाबाद में एक अलग नाम (भगवानजी या गुमनामी बाबा) के साथ रहते थे और यह गुमनामी बाबा 1985 तक जीवित रहे। गुमनामी बाबा और नेता जी के बीच संबध को लेकर भी कई थ्योरी है जो कहती हैं कि दोनों एक ही व्यक्ति थे।