बर्थडे स्पेशल : जानें किनसे था लता को प्यार, दोनों ने आजीवन नहीं की शादी
features@inext.co.in KANPUR: लता मंगेशकर किसी परिचय की मुहताज नहीं। उनका नाम ही काफी है। हर शख्स उनसे वाकिफ है, लेकिन कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिसके बारे में लोग शायद नहीं जानते। ऐसी ही कई बातों का जिक्र हरीश भीमाणी ने एक पुस्तक 'इन सर्च ऑफ लता मंगेशकर' में किया है। हरीश उनके कई कार्यक्रमों का आयोजन कर चुके हैं। 6 महीने की उम्र में संगीत से प्यार?लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक दिन सारंगी बजा रहे थे। उनके सामने 6 महीने की लता मुठ्ठी भर मिट्टी अपने मुंह में डालने ही वाली थीं। उन्होंने सारंगी उठाकर उसे प्यार से झिड़कना चाहा। लेकिन वे हैरान रह गए जब उस बच्ची ने सांरगी के तार को ठीक उसी तरह छेड़ दिया, जिस तरह वे बजा रहे थे। ये देखकर वह भी हैरान रह गए थे।
लता की आवाज का जादू सिर्फ लोगों पर ही नहीं, उस जमाने के कलाकारों पर भी था। फिल्ममेकर्स से लेकर म्यूजिक कंपोजर्स तक सभी उनके साथ काम करना चाहते थे। लता जी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, 'मधुबाला अपने कॉन्ट्रैक्ट में ये शर्त रखती थीं कि उनके सभी गाने मैं ही गाऊंगी।'
कविता को चौंकाया!1982 में कविता ने बप्पी लहरी के लिए एक गाना गाया था। उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि ये गाना किसी पॉपुलर सिंगर की आवाज में रिकॉर्ड किया जाएगा। लेकिन जब ये गाना रिकॉर्ड करने के लिए लता जी को बुलाया गया तो उन्होंने कविता के गाने को दोबारा रिकॉर्ड करने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें कविता की आवाज में वो गाना बेहद पसंद आया था।
1940 के दशक में म्यूजिक की दुनिया में जीएम दुर्रानी का जलवा था। एक बार लता, नौशाद साहब और दुर्रानी गाने की रिकॉर्डिंग कर रहे थे। दुर्रानी ने रिकॉर्डिंग के दौरान लता से कहा, 'लता, तुम रंगीन कपड़े क्यों नहीं पहनती? तुम कैसे इस तरह सफेद चादर लपेटकर चली आती हो?' लता ने सोचा कि ये आदमी कैसे एक औरत से गैरवाजिब नजदीकी दिखाते हुए उसे 'आप' की जगह 'तुम' कह रहा है। फिर लता ने दुर्रानी के साथ कभी काम नहीं किया।
साठ के दशक में लता और तलत महमूद के डुएट गाने की रिकॉर्डिंग का प्रपोजल आया, लेकिन किन्हीं वजहों से पूरा नहीं हो सका। तब अफवाह फैली कि लता ने ये गाना इसलिए नहीं गाया क्योंकि उनका को-सिंगर मुसलमान था। तलत महमूद ने इस अफवाह पर भरोसा भी कर लिया था। वक्त रहते ये गलतफहमी दूर हो गई। दोनों आमने सामने मिले. लता ने तलत से पूछा, 'आपने इस तरह की घटिया कहानी पर कैसे यकीन कर लिया? आप ये नहीं जानते कि रफी साहब, नौशाद साहब भी मुसलमान हैं? मैं हमेशा उनके साथ काम करती हूं। मैं यूसुफ भाई (दिलीप कुमार) को राखी बांधती हूं। आप ये भी भूल गए कि मैंने अमन अली और अमानत खां साहब की शागिर्द के तौर पर सीखना शुरू किया था. वे दोनों मुसलमान थे।
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