इस तरह खोज निकाली गई थी आखिरी मुगल शहंशाह बहादुर शाह जफर की कब्र
समुद्री जहाज से यंगून गए थे मुगल बादशाह1857 में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व करने वाले मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को हार का सामना करना पड़। जिसके बाद 17 अक्टूबर 1858 को बाहदुर शाह जफर मकेंजी नाम के समुद्री जहाज से रंगून भेज दिया गया। इस जहाज में शाही खानदान के 35 लोग सवार थे। उस दौरान कैप्टेन नेल्सन डेविस रंगून जो वर्तमान में यंगून है के इंचार्ज थे। 17 अक्टूबर 1858 को बहादुर शाह जफर को एक गैराज कैद किया गया जहां से वो 7 नवंबर 1862 में अपनी चार साल की कैद के बाद जिंदगी को अलविदा कहते हुए आजाद हो गए। बहादुर शाह जफर ने अपनी मशहुर गजल इसी गैराज में लिखी थी। जब मजदूरों को खुदाई के दौरान मिली बादशाह की कब्र
16 फरवरी 1991 का दिन था। मजदूर एक नई बिल्डिंग खड़ी करने के लिए जमीन की खुदाई कर रहे थे। मजदूरो के खुदाई शुरु करने के कुछ देर बाद ही उन्हें महसूस हुआ कि जहां वो खुदाई कर रहे हैं वहां नीचे कुछ गढ़ा हुआ है। जब वहां की सफाई हुई तो उन्हें एक कब्र मिली। कब्र पर लगे शिलालेख से उन्हें ये जानने में ज्यादा देर नहीं लगी कि ये कब्र किसी साधारण व्यक्ति की नहीं बल्कि बादशाह बहादुर शाह जफर की है। जिन्हें भारत से अंग्रेज कैद कर के वर्मा ले गए थे जो कि वर्तमान में म्यांमार के नाम से जाना जाता है। यह कब्र जमीन से साढ़े तीन फीट नीचे बनी थी। कब्र फूलों से ढकी हुई थी। कब्र को नॉर्थ साउथ में बनाया गया था।
1994 में कब्र को बनाया गया थाबहादुर शाह जफर की दरगाह को उनकी कब्र के पास ही बनाया गया था। म्यांमार के धार्मिक मामलों के मंत्री ने इस दरगाह का शुभारंभ किया। यह कार्य भारत सरकार और भारतीय राजदूत की मौजूदगी में किया गया था। इस दरगाह को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। श्वेदागोन पगोडा के पास है जफर की दरगाहअंतिम मुगल बादशाह बहादुशाह जफर की दरगाह 6 जिवाका स्ट्रीट वैसारा रोड के पास डेगन टाउनशिप में मिली थी। यह जगह श्वेदागोन पगोडा के साउथ में स्थित है। सप्ताह के अंत में ये घूमने के लिए अच्छी जगह है। ये जगह धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यहां सिर्फ म्यांमार के मुस्लिम ही दर्शन करने के लिए नहीं आते हैं। लोग यहां उस बादशाह को देखने के लिए आते हैं जो बादशाह होने के बाद भी संत था। यहां काफी संख्या में भारतीय लोग भी घूमने के लिए आते हैं। ब्रिटिश और मुगलों के इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले भी यहां आते हैं।
दो मंजिल का बना है जफर का मकबरादरगाह पर रोज सुबह और शाम को भारी संख्या में महिलाएं और पुरुष एकत्र होते हैं और अपने बादशाह के लिए दुआ करते हैं। दरगाह पर फूल और फल चढ़ाए जाते हैं। दो मंजिल के इस मकबरे को खूबसूरत बनाने के लिए इसे संगमरमर से सजाया गया है। यहां नौ स्टेप क्रिप्ट की ओर ले जाते हैं। जहां लोग गाते हैं और ड्रम बजाते हैं। अपने शरीर को हवा में दाएं से बाएं की ओर लहराते हैं। यहां आने वालों के लिए आम के पेड़ के नीचे कैंटीन भी है। जहां लोग नाश्ता कर सकते हैं। ये जगह अपने आप में बहुत खास है।National News inextlive from India News Desk