गणेश जी के गजानन बनने की कहानी, संभवत: दूसरी कहानी नहीं जानते होंगे आप
वार्षिक गणेश चतुर्थी को गणेश जी के प्रकट होने के कारण उनके भक्त इस तिथि के आने पर उनकी विशेष पूजा करके पुण्य अर्जित करते हैं। गणेश उत्सव अभी भी चल रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं गणेश जी के बारे में वो तीन कहानियां, जो उनके गजानन बनने से जुड़ी हैं। प्रसिद्ध कथा1. एक बार पार्वती जी स्नान करने के लिए जा रही थीं। उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला निर्मित कर उसमें प्राण फूंके और गृहरक्षा (घर की रक्षा) के लिए उसे द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया। ये द्वारपाल गणेश जी थे। गृह में प्रवेश के लिए आने वाले शिवजी को उन्होंने रोका तो शंकरजी ने रुष्ट होकर युद्ध में उनका मस्तक काट दिया।
जब पार्वती जी को इसका पता चला तो वह दुःख के मारे विलाप करने लगीं। उनको प्रसन्न करने के लिए शिवजी ने गज (हाथी) का सर काटकर गणेश जी के धड़ पर जोड़ दिया। गज का सिर जुड़ने के कारण ही उनका नाम गजानन पड़ा।
2. एक अन्य कथा के अनुसार विवाह के बहुत दिनों बाद तक संतान न होने के कारण पार्वती जी ने श्रीकृष्ण के व्रत से गणेश जी को उत्पन्न किया। शनि ग्रह बालक गणेश को देखने आए और उनकी दृष्टि पड़ने से गणेश जी का सिर कटकर गिर गया। फिर विष्णु जी ने दुबारा उनके हाथी का सिर जोड़ दिया।