जितने खास थे स्टीफन हॉकिंग उतनी ही अनोखी थी उनकी बीमारी
कानपुर। आज यानी कि 8 जनवरी को दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग का जन्मदिन है। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के मुताबिक, 8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। पहले उनका परिवार लंदन में रहता था, लेकिन बाद में सेंट एल्बेंस में शिफ्ट हो गया। जब वह सात साल के थे तभी उन्होंने सेंट एल्बेंस स्कूल में पढ़ाई शुरू कर दी थी। उन्होंने ऑक्सफोर्ड के यूनिवर्सिटी कॉलेज से अपने स्नातक की पढाई पूरी की थी, इसके बाद 1962 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में कॉस्मोलॉजी में रिसर्च शुरू की। खास बात ये थी कि उस समय ऐसा करने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
बता दें कि साल 1963 में स्टीफन हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन नाम की एक खतरनाक बीमारी हुई। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी। पूरी चेक अप के बाद डॉक्टरों ने कहा था कि वे दो साल से ज्यादा नहीं जी सकते हैं, चूंकि उनके शरीर में यह बीमारी सामान्य से भी कम गति से फैल रही थी। इसलिए वह 76 साल तक जिए। उनकी बीमारी बहुत अनोखी थी। इस बीमारी के चलते हॉकिंग पर लकवा का अटैक हुआ और बाद में वे पूरी तरह से व्हीलचेयर पर निर्भर हो गये। बीमारी ऐसी थी कि वे अपने शरीर में एक हाथ की कुछ अंगुलियों को ही सिर्फ हिला सकते थे। वह अपना हर जरुरी काम जैसे नहाने, कपड़ा पहनने और खाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते थे। यहां तक वे बोलने के लिए भी स्पीच सिंथेसाइजर का उपयोग करते थे, जिससे कंप्यूटराइज आवाज में अमेरिकी एक्सेंट के साथ वे बोल पाते थे।दुनिया को दी ढेर सारी जानकारी14 मार्च, 2018 को हॉकिंग ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन वे जाते जाते भी इस दुनिया को कई चीजें दे गए। उन्होंने ब्लैक होल, बिगबैंग, ब्रह्मांड विज्ञान, क्वांटम मैक्नेक्सि और थर्मोडायनमिक्स को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, इसके बारे में लोगों को विस्तार से बताया। हॉकिंग ने भौतिक विज्ञान से लेकर ब्रह्मांड के बारे में ढेर सारी खास जानकारियां दी थीं।
सितारों की दुनिया के आइंस्टाइन थे वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग