क्या आपने कभी किसी अपने को अचानक दिल के दौरे से तड़पते देखा है? तभी हुई जांचों में पता चला होगा कि आपके उस करीबी को दिल की बीमारी है। तब आपके मन में ये बात आई होगी कि काश उनकी बीमारी का पता पहले चला होता तो वक्त पर इलाज हो जाता। ऐसा है तो इस काम में आपकी मदद करेगा आईआईटियंस का बनाया बायोसेंसर...


कानपुर (फीचर डेस्क)। हाल ही में सामने आए डेटा से पता चला कि 2015 में भारत में अकेले दिल के दौरे के कारण 2.1 मिलियन लोगों की मौत हुई थी। सीवीडी या हार्ट डिसीज ऐसी ही एक प्रमुख हेल्थ प्रॉब्लम है, जिसका अगर शुरुआत में पता चल जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। इस बात की गहराई को समझा आईआईटी हैदराबाद के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स की एक टीम ने और हार्ट डिसीज को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ने वाली एक डिवाइस इन्वेंट की। इस डिवाइस को नाम दिया बायोसेंसर का।ऐसे आया आइडिया


इस डिवाइस को बनाने में स्टूडेंट्स की टीम को लीड किया यहां के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर रेणु जॉन ने। उन्होंने बताया कि अपने फ्रेंड सर्किल में उन्होंने अपने किसी करीबी को हार्ट डिसीज की वजह से खुद से दूर होते देखा था। उसके बाद जब स्टूडेंट्स उनके पास इस डिवाइस का आइडिया लेकर आए तो इसको बनाने में उनकी हेल्प करने से वह मना नहीं कर पाए।ऐसे काम करती है ये डिवाइस

इस डिवाइस के काम करने के बारे में प्रो। रेणु कहते हैं कि ह्रदय से जुड़ी बीमारी होने पर 'कार्डियक ट्रोपोनिन' नाम के जैविक अणुओं हमारे शरीर में बनते हैं। ये 'कार्डियक ट्रोपोनिन' हमारे खून में मौजूद एटीबॉडीज से जुड़े रहते हैं। ये डिवाइस शरीर में इनकी मौजूदगी का पता लगाती है। शरीर में इनके मिलने पर हार्ट डिसीज का पता चलता है।Startup Idea: Greens & More ने दिया लोगों को हेल्थ और टेस्ट का परफेक्ट कॉम्बोऐसी है फ्यूचर प्लानिंगप्रोफेसर रेणु बताते हैं कि अभी इस डिवाइस को उन्होंने साउथ के कुछ ही शहरों में इंट्रोड्यूस किया है। वहां से इसकी अच्छी-खासी डिमांड लोगों और हॉस्पिटल्स के बीच से आने लगी है। वहीं अब इनकी और इनके टीम की फ्यूचर प्लानिंग इस डिवाइस को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाना है, ताकि लोगों में बढ़ने वाली हार्ट डिसीजेस का पता लगाकर समय पर उनका क्योर किया जा सके और संबंधित व्यक्ति को बचाया जा सके।Success Story: वेस्ट कार्डबोर्ड से ही बना डाला पूरा सेस्त्रां

Posted By: Vandana Sharma