अर्थव्यवस्था की मुश्किलों से जूझ रहे श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
अविश्वास प्रस्ताव पर पार्टी की प्रतिक्रिया श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेन की पार्टी 'श्रीलंका फ्रीडम पार्टी' (एसएलएफपी) अभी प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन सिरीसेन की पार्टी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ बौंड मार्केट में घोटाला और कैंडी जिले में हुए मुस्लिम विरोधी दंगों से निपटने में विफल रहने का आरोप लगते हुए अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है। एसएलएफपी पार्टी से मिनिस्टर लक्षमण यापा अबेवर्दने का कहना है कि 'पार्टी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के समर्थन में हैं।' उन्होंने कहा कि 'पार्टी का मत स्पष्ट रूप से जाहिर करता है कि प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।' रानिल विक्रमसिंघे पर आरोप
रानिल विक्रमसिंघे पर आरोप है कि वह देश की धराशाही होती अर्थव्यवस्था को बचा नहीं पाए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल देश की अर्थव्यवस्था में करीब 3.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इसी के चलते वहां के मुद्रा का अवमूल्यन हुआ और देश में मंदी तक की नौबत आ गई थी। इसके अलावा कई ऐसे मुद्दे सामने आये, जिनको देखते हुए उन्ही के गठबंधन वाली पार्टी ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। इस्तीफा की मांग
गौरतलब है कि चार अप्रैल को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाना है. बता दें कि साल 2015 में राजपक्षे को हराकर सिरीसेन राष्ट्रपति बने। सिरीसेन की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी विक्रमसिंघे के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा है। 10 फरवरी को स्थानीय निकाय चुनाव में राजपक्षे की पार्टी से मिली करारी हार के बाद सिरीसेन ने विक्रमसिंघे से इस्तीफा मांगा था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। अब यह छुपा नहीं है कि सिरीसेन विक्रमसिंघे को हटाना चाहते हैं।