भारतीय सेना के परम वीर चक्र प्राप्त कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत हमेशा लोगों के जेहन में बसी रहेगी। कारगिल के युद्ध में अपने साथी की जान बचाकर वह खुद शहीद हो गए थे। 24 साल की उम्र में 7 जुलाई 1999 में अपनी जान गवांने वाले विक्रम ने वीरता और देश प्रेम की अद्भुत मिसाल पेश की है। आइए आज जानें इस शेरशाह की पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें जो हर भारतवासी को जानना जरूरी है...
मिलेट्री एकेडमी:हिमाचल प्रदेश में कक्षा दो तक की पढ़ाई करने के बाद वह चंडीगढ़ चले गए। इसके बाद यहीं पर डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ में विज्ञान विषय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान वह एनसीसी से जुड़े रहे। विक्रम देश के लिए कुछ करने की चाहत रखते थे। इसी के तहत ही वह 1996 में मिलेट्री एकेडमी देहरादून के लिए सेलेक्ट हुए थे। ये दिल मांगे मोर: इस सबके बाद जब उनसे प्रतिक्रिया ली गई तो उनका कहना था कि 'ये दिल मांगे मोर'। इतना ही वह अपने साथियों को भी इस नारे के बल पर हिम्मत बंधाते थे। जब कि वहीं दुश्मन भारतीय सेना की ओर से लगाए जाने वाले इस नारे से काफी परेशान हो गए थे। इस दौरान 7 जुलाई उनके जीवन की अंतिम तारीख साबित हुई।
गोली सीने में लगी:
एक ऑपरेशन के तहत लेफ्टीनेंट को गोली लग गई थी और वह उन्हें बचाने के लिए घसीट रहे थे। तभी दुश्मनों की एक गोली बत्रा की छाती में लगी और वह वहीं पर गिर पड़े थे। इस दौरान उनके मुंह से सिर्फ 'जय माता दी' निकला और वह वीरगति को प्राप्त हुए। बत्रा इस शहादत पर परमवीर चक्र (मरणोपरांत)से सम्मानित हुए।
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Posted By: Shweta Mishra