निर्भया गैंगरेप केस में चार दोषियों को फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी है। मगर वारदात के वक्त सबसे उग्र रहा एक अन्य आरोपी सिर्फ इसलिए छूट गया क्योंकि उसकी उम्र 18 साल से कम थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब उसे भी फांसी की सजा की मांग उठने लगी है। सोशल मीडिया पर भी इस बात को लेकर जबर्दस्त रोष है। सेलिब्रिटीज से लेकर आम लोगों का कहना है कि निर्भया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी करने वाला नाबालिग दोषी आराम से जिंदगी जी रहा है। उसे इतनी आसान जिंदगी जीने का हक नहीं है। उसे भी फांसी दी जाए।

आरोपी नहीं, सरकार जुवेनाइल
फिलहाल, नाबालिग रेपिस्ट अब 23 साल हो चुका है। 3 साल की सजा के बाद 20 दिसंबर, 2015 को नाबालिग को रिहा कर दिया गया था। तब नाबालिग रहे आरोपी के इस तरह छूट जाने पर लोगों का गुस्सा साफ  नजर आ रहा है। शनिवार को कई लोगों ने 'निर्भया हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं जैसे स्लोगन भी ट्वीट किए। उसे माफी देने के खिलाफ  कई सिलेब्रिटीज ने भी ट्विटर पर नाराजगी जाहिर की। एक ट्वीट में तो यहां तक कहा गया कि अगर उसे सजा नहीं मिलती है तो मानना पड़ेगा कि आरोपी नहीं, सरकार जुवेनाइल है। लोगों का कहना था कि उसे सजा दिए बिना निर्भया का इंसाफ अधूरा है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया निर्भया गैंगरेप के दोषियों को लटका दो फांसी पर

मानसिकता विकृत, तो उम्र क्या देखना
ट्विटर पर कई पोल भी चलाए गए, जिनमें पूछा गया था कि जूवेनाइल आरोपी के साथ क्या किया जाना चाहिए। इनके रिजल्ट्स में भी ज्यादातर लोग उसे भी मौत की सजा देने के पक्ष में नजर आए। फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा कि जब किसी शख्स की मानसिकता ऐसी विकृत हो तो सजा में रहम क्यों किया गया। उसे भी अन्य दोषियों के साथ फांसी की सजा दी जानी चाहिए।

 


3 साल में सजा पूरी

गैंगरेप का नाबालिग आरोपी ने ही निर्भया को बस में चढऩे का आग्रह किया था।घटना के वक्त वह नाबालिग था। नतीजतन, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ उसे सुधार केंद्र में भेजा था।बाल सुधार गृह में 3 साल बिताने के बाद दिसंबर, 2015 में अनजान जगह ले जाकर उसे रिहा किया गया।गैंगरेप के दौरान निर्भया से सबसे ज्यादा दरिंदगी इसी नाबालिग ने की थी।होटल में कुक
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, नाबालिग आरोपी दक्षिण भारत के एक रेस्टोरेंट में कुक की नौकरी कर रहा है। उसने बाल सुधार गृह में प्रवास के दौरान खाना बनाना सीखा था। एनजीओ के मुताबिक उनसे अपना नया नाम भी रख लिया है। यह भी दावा किया जा रहा है कि जिस जगह किशोर काम कर रहा है वहां उसका इतिहास कोई नहीं जानता है। ना ही रेस्टोरेंट का मालिक।

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Posted By: Chandramohan Mishra