स्मार्टफोन में चिपके रहने की लत इंडिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिल रही है। कम उम्र के किशोर और युवा लोग ही सबसे ज्यादा वक्त स्मार्टफोन यूज़ करने में बिताने लगे हैं। इससे होने वाली परेशानियों को लेकर हाल ही में USA की जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में एक भारी भरकम रिसर्च की गई। जिसमें यह बात निकल कर आई कि अपना ज्यादातर वक्त स्मार्टफोन देखने में बिताने वाले युवा बाकी लोगों की अपेक्षा ज्यादा दुखी रहा करते हैं।

सुबह से लेकर रात तक स्मार्टफोन से चिपकने से बड़ी परेशानियां

हम में से बहुत सारे लोग सुबह जैसे ही सोकर उठते हैं, तो बेड से बाहर निकलने से पहले ही अपना स्मार्टफोन उठाते हैं और WhatsApp या Facebook चेक करते हैं। चैट का जवाब देते हैं या एफबी पोस्ट पर लाइक या कमेंट करते हैं। कुछ ऐसा ही हाल रात को सोने से पहले भी दिखाई देता है। इसके अलावा दिन में कॉलेज से लेकर ऑफिस तक ज्यादातर युवा थोड़ी थोड़ी देर में स्मार्टफोन देखने, चैट करने, लाइक या कमेंट करने में ही जुटे रहते हैं। इस आदत से पूरी दुनिया के युवाओं में तमाम परेशानियां देखने को मिल रही हैं। रिसर्च बताती है कि ज्यादातर वक्त स्मार्टफोन पर बिताने के कारण युवा एक अलग तरह के अकेलेपन और भूलने की बीमारी का शिकार बन सकते हैं। जिस कारण युवाओं में डिजिटल डिमेंशिया का खतरा बढ़ता जा रहा है।


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सर्वे के दौरान सवालों के मिले ऐसे जवाब

अमेरिका की जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में तकरीबन 10 लाख से ज्यादा युवाओं के स्मार्टफोन यूसेज से जुड़े डाटा का जब विश्लेषण किया गया तो उसमें तमाम महत्वपूर्ण बातें निकल कर सामने आईं। सर्वे के दौरान इन यंगस्टर्स से पूछा गया था कि वो अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर कितना वक्त बिताते हैं। इसके अलावा जब वह अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ होते हैं तो उनके बीच की सामाजिक बातचीत और उनसे मिलने वाली खुशी के बारे में भी युवाओं से सवाल जवाब किए गए। जिसमें यह पता चला कि स्मार्ट फोन पर ज्यादा वक्त बिताने वाले युवा बाकी लोगों की अपेक्षा ज्यादा अप्रसन्न रहा करते हैं, क्योंकि उनके इमोशन हर चैट और हर फेसबुक पोस्ट के साथ लगातार बदलते रहते हैं। इस रिसर्च का निचोड़ बताता है कि स्मार्टफोन पर गेम्स खेलने, सोशल मीडिया, WhatsApp चैट या फिर फोन पर ही घंटो बिताने वाले किशोर और युवा इन सभी उपकरणों से दूर रहने वाले युवाओं की अपेक्षा ज्यादा दुखी महसूस करते हैं। ऐसे युवा जो कि पढ़ाई लिखाई, खेलकूद, दोस्तों के साथ मिलने जुलने यानी कि तमाम लोगों से बातचीत करने में समय बिताते हैं, वो अधिकतर खुश रहते हैं। अमेरिका की फेमस मैगजीन 'इमोशन' में इस रिसर्च के रिजल्ट को प्रकाशित किया गया है जो एक लाइन में बताता है कि स्मार्टफोन पर अधिक से अधिक समय देने वालों की जिंदगी में नाखुशी और दुख लगातार बढ़ती जाता है।

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Posted By: Chandramohan Mishra