छक कर सोइए, स्वस्थ रहिए
ब्रिटिश शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद की कमी इंसानी शरीर की अंदरूनी कार्यप्रणाली को नाटकीय ढंग से प्रभावित कर सकती है.ऐसे लोग जिन्हें हफ़्ते भर छह घंटे से कम नींद मिली, उनके सैकड़ों जीन्स में बदलाव आ गया.हालांकि नींद में कमी सेहत का क्या नुकसान करती है, इसके बारे में अभी पता नहीं चल पाया है.प्रयोगप्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइन्स जर्नल में शोधकर्ताओं ने लिखा है कि हृदयरोग, मधुमेह, मोटापा और कमज़ोर दिमाग सभी ख़राब नींद से जुड़ते हैं.सर्रे विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने 26 लोगों के खून का नमूना लिया जो हफ़्ते भर 10 घंटे तक सोए थे.अगले हफ़्ते इन लोगों को छह घंटे से कम सोने दिया गया और फिर इनके खून के नमूने लिए गए.
जब इन दोनों का मिलान किया गया तो पता चला कि 700 से ज़्यादा जीन्स में परिवर्तन हो गया था. हर एक में प्रोटीन बनाने के निर्देश थे. वो जीन्स जो ज़्यादा सक्रिय हो गए थे ज्यादा प्रोटीन बनाकर शरीर का संतुलन बदल रहे थे.सर्रे विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर कोलिन स्मिथ ने बीबीसी को बताया, “कई प्रकार के जीन्स के क्रियाकलापों में काफ़ी नाटकीय परिवर्तन आ गया था.”प्रतिरोधी क्षमता पर असर
इससे शरीर की तनाव और चोट के प्रति प्रतिक्रिया और प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हुई थी.प्रोफ़ेसर स्मिथ के अनुसार, “साफ़ है कि शरीर के पुनर्निर्माण और उसे चालू हालत में रखने के लिए नींद बेहद ज़रूरी है. इसकी कमी से बीमारी की तरफ़ ले जाने वाले नुकसान नज़र आने लगते हैं.”वो कहते हैं, “अगर हम नई कोशिकाओं को बदल नहीं सकते, उनकी पूर्ति नहीं कर सकते तो हम अपक्षयी रोगों के शिकार हो जाएंगे.”प्रोफेसर स्मिथ के अनुसार शोध में शामिल लोगों को जितनी नींद मिली है काफ़ी लोग उससे भी कम नींद ले पाते होंगे. इसलिए ये बदलाव आम हो सकते हैं.कैंब्रिज विश्वविद्यालय में बॉडी क्लॉक के विशेषज्ञ डॉ अखिलेश रेड्डी इस शोध को ‘दिलचस्प’ मानते हैं.वो कहते हैं कि ख़ास तौर पर जलन और सूजन और प्रतिरोधक क्षमता पर असर के परिणाम महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि ये मधुमेह जैसी बीमारियों का नींद से संबंध दिखाते हैं.ये निष्कर्ष नींद भगाने के शोधों में भी सहायक हो सकते हैं. जैसे कि ऐसी दवा की खोज जो नींद की कमी के असर को खत्म कर सके.डॉ रेड्डी कहते हैं, “हमें पता नहीं कि क्या चीज़ ये बदलाव लाती है लेकिन अगर आपको ये पता चल जाए तो बिना सोए रहना संभव हो सकता है.”