फ्रांस में तीन बच्‍चों के पिता ने Facebook के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का अधिकार जीत लिया है। बता दें कि 19वीं शताब्‍दी में Facebook ने प्रोफाइल पिक के तौर पर ऑयल पेंटिंग को इस्‍तेमाल करने के कारण इनका अकाउंट बंद कर दिया था। इनका नाम है फ्रेड्रिक दूरंद बायसस। इनकी उम्र इस समय 57 साल बताई गई है और ये एक पारसी टीचर और कलाप्रेमी हैं।

ऐसी है जानकारी
आज से पांच साल पहले Facebook ने इनके अकाउंट को बिना किसी पूर्व नोटिस के बंद कर दिया था। इसका कारण था कि इन्होंने गुस्टाव कॉर्बेट के 1866 के 'The Origin of the World' के पोस्ट को अपनी प्रोफाइल पिक बनाकर इस्तेमाल किया था। इस तस्वीर में महिला के इंटरनल पार्ट को दिखाया गया था। ऐप के अनुसार इस तरह की तस्वीरों को वह अपनी साइट पर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देता।
अब ऐसा चाहते हैं फ्रेड्रिक
वहीं अब फ्रेड्रिक चाहते हैं कि उनका अकाउंट रीएक्टिवेट किया जाए। सिर्फ यही नहीं इसके साथ ही वह सोशल मीडिया से उनके साथ ऐसा करने के लिए 20,000 यूरो का भुगतान करने की भी मांग कर रहे हैं। इन सभी डिमांड के साथ बड़ी बात ये है कि अब वह फ्रांस में ये केस लड़ने का अधिकार जीत चुके हैं।

इस बात का केस है साइट के खिलाफ

फ्रेड्रिक बताते हैं कि ये सोशल नेटवर्क पर सेंसरशिप और अभिव्यक्ित की स्वतंत्रता का केस है। उनका कहना है कि अगर Facebook एक आर्टिस्टिक मास्टरपीस और पोर्न इमेज के बीच के अंतर को नहीं समझ सकता, तो ये उसकी दिक्कत है। इसका जवाब देने के लिए फ्रांस जैसे देश में उन जैसे लोग हैं। हालांकि अभी तक इस बात को लेकर Facebook की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन अदालत पेरिस की अपील से एक कानूनी मिसाल कायम कर सकता है।
क्या है नियम
ऐसी मिसाल कायम करने का एक कारण ये भी है कि Facebook के करीब 30 करोड़ रेगुलर यूजर्स हैं। हालांकि कंपनी के पास भी इस केस के खिलाफ फ्रांस की सर्वोच्च अदालत में अपील करने का मौका है। Facebook का हाल ही का 'कम्यूनिटी स्टैंडर्ड' पेज इस मामले को लेकर यह कहता है कि उनकी ओर से न्यूडिटी को दिखाना इसलिए प्रतिबंधित किया गया है क्योंकि इसको लेकर कम्यूनिटी के ही कुछ लोग अच्छा महसूस नहीं करते। खासतौर पर अपने कल्चरल बैकग्राउंड या उम्र की सीमा के कारण।
ऐसा कहते हैं फ्रेड्रिक के वकील
वहीं फ्रेड्रिक के वकील कहते हैं कि इतने सालों में Facebook ने इस मामले में अपनी भाषा को बदल लिया है। उनके वकील का कहना है कि फ्रेंच कन्ज़यूमर राइट इस बात की इजाजत नहीं देता। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया भर में इसकी सेवा मुफ्त है।  फिलहाल पेरिस अपील कोर्ट ने इस तरह की सभी बहस को खारिज कर दिया है और मामले को फैसले के लिए लोवर कोर्ट में भेज दिया है।

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Posted By: Ruchi D Sharma