गजल गायकी अवध का गौरव और दरबारी बैठकी की पहचान रहीं मशहूर गायिका जरीना बेगम का शुक्रवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थीं और डालीबाग के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की खबर मिलते ही उनके चाहने वालों और संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

1972 में आई थीं लखनऊ
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लखनऊ।
जरीना बेगम का जन्म बहराइच के नानपारा में हुआ था। वर्ष 1972 में वह लखनऊ आ गई थीं। जरीना बेगम नौ साल से बीमार चल रही थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से उनका समुचित इलाज नहीं हो पाया। जीवन के अंतिम पड़ाव में वे आर्थिक तंगी से जूझती रहीं। बेगम अख्तर के साथ उनके बेटे अयूब अली, बेटी रूबीना बेगम व दामाद मो. नावेद रहते थे। शाम को ऐशबाग स्थित कर्बला में सुपर्दे खाक हुई।
अखिलेश से भिजवाए 50 हजार
जरीना बेगम के निधन की खबर सुनकर पूर्व सीएम अखिलेश ने न केवल शोक जताया बल्कि परिवार को आर्थिक मदद के रूप में 50 हजार रुपये कभी भिजवाए। उनके दामाद नावेद ने बताया कि अखिलेश सरकार में ही बेगम अख्तर अवार्ड मिला था अवार्ड राशि पांच लाख रुपये इनके इलाज में खत्म हो गई। तीन माह से अस्पताल का खर्च भी अखिलेश यादव ही उठा रहे थे। मो. नावेद ने बताया कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली।

बेगम अख्तर के थीं करीब

जरीना बेगम संगीत के माहौल में पली बढ़ीं। उनके वालिद शहंशाह हुसैन नानपारा के कव्वाल थे और पति कुरबान अली तबला वादक। इसके बाद भी घर में लड़कियों के गाने को प्रोत्साहन नहीं मिलता था। उन्होंने छुप छुप कर संगीत सीखा। लेकिन उनको असल मुकाम बेगम अख्तर के संपर्क में आने के बाद मिला। बेगम अख्तर ने उनको बैठक गायिकी के आदाब और तौर-तरीके सिखाए।
बहुत सरल स्वभाव की थीं अम्मा
गायिका जरीना बेगम की बेटी रूबीना ने बताया कि वो ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थीं। जिससे वो समय के साथ कदम नहीं मिला सकीं। देशभर में उनकी गायिका को शोहरत खूब मिली। मगर उनको खुशहाल जिंदगी न मिल सकी। नौ वर्ष पहले उन्हें लकवा मार गया। इसके बाद वे कई बीमारियों से लड़ती रहीं। उन्होंने बीमारी की हालत में ही दिल्ली के इंदिरा गांधी हाल में गजल गाई, जो उनकी आखिरी प्रस्तुति थी।

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Posted By: Shweta Mishra