ब्रिटेन में पिछले सप्ताह लेस्टर क्राउन कोर्ट ने बाल वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने के अपराध में छह लोगों को जेल भेजा.


यह फ़ैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रिटेन में यह ऐसा पहला बहुचर्चित मामला है जिसमें यौन दुर्व्यवहार की शिकार एक सिख पीड़ित के मामले में किसी को सज़ा सुनाई गई है.बीबीसी के कार्यक्रम 'इनसाइड आउट लंदन' में इस बात के सुबूत पेश किए गए हैं कि सिख पीड़ितों के यौन उत्पीड़न के ऐसे दर्जनों मामले हैं लेकिन इनमें से कुछ मामले ही अदालतों तक पहुंचे हैं.परिवार कल्याण के लिए काम करने वाली चैरिटी संस्था सिख अवेर्नस सोसाइटी (एसएएस) का दावा है कि उसने पिछले पांच वर्षों के दौरान ब्रिटेन में 200 से अधिक बाल यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच की है.पुलिस से परहेज़"हम जानते हैं कि ऐसा हो रहा है, लेकिन अगर पीड़ित और उसका परिवार बात करने से इनकार कर रहा है तो ऐसे में जांच करना काफी मुश्किल होता है."-डेविड सैंडाल, पुलिस उप-निरीक्षक, लीस्टरशायर
हालांकि इस दावे की पुष्टि के लिए कोई आधिकारिक आंकड़े मौजूदा नहीं हैं क्योंकि सिख नाबालिग़ों के साथ होने वाले यौन शोषण की रिपोर्ट शायद ही कभी अधिकारियों के पास दर्ज कराई जाती है.


पुलिस अधिकारी डेविड सैंडाल के मुताबिक़, "कुछ समुदायों में यौन शोषण की सूचना काफ़ी कम दर्ज कराई जाती है. हम जानते हैं कि ऐसा हो रहा है, लेकिन अगर पीड़ित और उसका परिवार बात करने से इनकार कर रहा है तो ऐसे में जांच करना काफ़ी मुश्किल होता है."उन्होंने बताया, "हम चाहते हैं कि अधिक पीड़ित आगे आएं क्योंकि हम यहाँ उनकी मदद के लिए ही हैं."एसएएस के मोहन सिंह कहते हैं, "हमारे समुदाय में सम्मान का बहुत महत्व है.शोषण के ज़्यादातर मामलों में माता-पिता ऐसा बर्ताव करते हैं जैसे कि कुछ हुआ ही न हो क्योंकि वो जानते हैं कि अगर सच्चाई सामने आ गई तो उस लड़की की कभी शादी नहीं होगी."इज़्ज़त के नाम परजिम गैंबल सांस्कृतिक गलतफहमी को एक प्रमुख वजह मानते हैं.कई बार तो बच्चे को अपने घर से दूर किसी रिश्तेदार या किसी दूसरी जगह पर भेज दिया जाता है.काउंसलर एम्मा केनी कहती हैं कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई सिख लड़कियां यौन शोषण के बाद उनके पास मदद के लिए आईं हैं.उन्होंने कहा, "हो सकता है कि माता-पिता अच्छे इरादे के साथ ऐसा करते हों, लेकिन समस्या यह है कि बच्चे को चुप रहने के लिए कहने से उसे सदमे से उबरने का मौक़ा नहीं मिल पाता है."

इस समस्या के प्रति लोगों को जागरुक करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि सिख समुदाय की इस ख़ामोशी के कारण सिख लड़कियों को ख़ासतौर से निशाना बनाया जाता है.कई सिख परिवारों को इस बात की आशंका भी रहती है कि उनके मामले की जांच सही ढंग से नहीं की जाएगी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh