इस बार श्रावण मास की शुरुआत बुधवार से होगी और समापन गुरुवार को होगा। सृष्टि के प्रथम पूजनीय गणपति गणेश जी के दिन से 17 जुलाई शुरुआत होगी समाप्ति विष्णु बार अर्थट गुरुवार को होगी यानी की 15 अगस्त तक।


सावन के महीने में पूजन और व्रत का विशेष लाभ होता है। शिव पूजन के साथ-साथ पार्वती गणेश, नंदी, कार्तिकेय और भगवान शिव की पूजा विधि विधान से होती है। श्रावण मास में जहां चार सोमवार वही चार मंगलवार प्राप्त होंगे। सावन मास में शिव उपासना का विशेष महत्व है। यदि सोमवार का संयोग हो जाए अर्थात साला मास में सोमवार दिन हो तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन के प्रथम सोमवार को प्रात काल स्नान आदि से निवृत्त होकर के मन ही मन संकल्प लेना चाहिए। संकल्प में यह कहना चाहिए कि मैं शिव कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से इस रावण के सभी सोमवार का व्रत करने का संकल्प लेता हूं, हे महादेव मेरे इस संकल्प को पूर्ण करें।दूध और जल से करें अभिषेक


संकल्प लेने की बात क्षेत्र विशेष या मान्यता के अनुसार शिव मंदिर में जाकर के शिवलिंग का दुग्ध एवं जल से अभिषेक करें। साथ ही उनका यथा विधि पूजन करें। तत्पश्चात सोमवार की व्रत कथा का श्रवण करें। संभव हो तो शिव स्त्रोत का पाठ करें या ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करें प्रयास करें कि सोमवार के दिन निराहार रहें। सायं काल को पुनः स्नान करके किसी शिवालय में जाकर शिव पूजा करें।उसके उपरांत ही भोजन आदि ग्रहण करें।

शिव की पूजा करने पर शनि भी होंगे प्रसन्नसाला मास के सोमवार के व्रत में अति सोमवार को लघु रुद्री महार दरिया अति रुद्री का पाठ किया जाए, तो शिव उपासना का पूर्ण फल प्राप्त होता है। यदि आप समय मास के प्रथम सोमवार से आरंभ करके सोलह सोमवार तक व्रत करना चाहते हैं तो यह प्रयोग आपके लिए मनोकामना पूर्ति हेतु अचूक साधन है।जिन मनुष्यों पर शनि की ढैया साढ़ेसाती चल रही है, वे अगर शिव की पूजा करेंगे तो शनि अपने आप प्रसन्न हो जाएंगे। साथ ही साथ ऐसे मनुष्यों पर अपनी विशेष कृपा बरसाए। श्रावण मास भगवान शिव का महीना है और इस महीने में शिव और पार्वती की अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना होती है।इसलिए चांदी है शिव को प्रिय

चांदी का चंद्रमा भारतीय ज्योतिष के सिद्धांत में मन का कारक ग्रह चांदनी छटा का और चांदी का कारक चंद्रमा, चंद्रमा स्वयं भगवान शिव के मस्तिष्क पर विराजमान है। चंद्रमा शांति का प्रतीक है और शांति का कारक होने के कारण चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने सिर पर रोका हुआ है। इसलिए अधिकाधिक शिव मंदिरों पर चांदी का अधिक प्रयोग होता है। चाहे चांदी का अरगा हो चाहे चांदी के दरवाजे हो चाहे चांदी की छत हो या चांदी का अर्थ चांदी की संगी हो। चांदी का कलर्स शो चांदी के नाग नागिन हों चांदी के बेलपत्र हो। चांदी कहीं ना कहीं भगवान शिव को चांदी अधिक प्रिय है।Shravan 2019: विवाह, धन व स्वास्थ्य लाभ के लिए सावन में करें यह उपाय बन जाएंगे बिगड़े कामShravan 2019: इसलिए भगवान शिव को प्रिय है यह मास, कथा व पूजा विधि की पूरी जानकारीशिव पुराण के अनुसार शिव के मस्तक पर चंद्रमा के विराजमान होने से भगवान शिव के पूजन में चांदी का प्रयोग अत्याधिक होता है। यही बनता है कि विश्व ग्रहण करने के बाद शिव को शीतलता के लिए चंद्रमा को धारण करना पड़ा था। इसी कारण कालसर्प योग में चांदी का प्रयोग अत्याधिक होता है। जुलाई 2019 से 15 अगस्त 2018 के बीच में भक्त चार सोमवार और चार मंगलवार क्रम सहा व्रत और पूजन करेंगे। निश्चित रूप से अलग-अलग पड़ने वाले चारों सोमवारों का अत्याधिक लाभ होगा। चारों सोमवारों पर पूजा करने से मिलेंगे अलग-अलग फल
प्रथम सोमवार 22 जुलाई 2019 को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र शोभन योग में होगा।यदि आप पूजन करते हैं और व्रत करते हैं तो यह व्रत ज्ञान वृद्धि के लिए सर्वोत्तम एवं व्यापारिक कार्यों में सफलता दिलाएगा।29 जुलाई 2019 को सावन मास का दूसरा सोमवार होगा। अक्षरा नक्षत्र व्याघात योग देव पूजन करके और व्रत करके राजस्थान में आप सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। राजकीय कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। विवाहित जीवन मंगलमय वाद दांपत्य जीवन में मधुरता होगी। पृथ्वी सोमवार 5 अगस्त 2019 को हस्त नक्षत्र और सिद्धि योग में होगा। अतः आरोग्यता प्राप्त के लिए इसके साथ साथी वंश वृद्धि की कामना भी इस सोमवार को पूर्ण होती है। विवाह के इच्छुक लोग इस सोमवार को व्रत अवश्य करें।शाखा सोमवार 12 अगस्त 2019 को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र विष्कुंभ योग पर है। अतः भूमि भवन व बौद्धिक सुखों की प्राप्ति के लिए भगवान शिव के पूजन से आप को संपूर्ण प्रकार के भौतिक और आत्मिक सुख प्राप्त होंगे।पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma