नेपाल में दवा उत्पादन 'ठप होने के कगार पर'
कंपनियों के मुताबिक़ अगर ज़रूरी कच्चा माल नहीं मिल पाया तो एक-दो हफ़्तों में उनका उत्पादन पूरी तरह बंद हो सकता है।हालांकि नेपाल सरकार के औषधि व्यवस्था विभाग ने कहा है कि दवा जैसी संवेदनशील वस्तुओं का उत्पादन ठप न हो, इसके लिए ज़रूरी क़दम उठाए जा रहे हैं।नेपाल की दवा कंपनियों को उत्पादन के लिए ज़रूरी कच्चा माल ज़्यादातर भारत से आता है।लेकिन नेपाल में लागू नए संविधान के विरोध में देश के तराई इलाक़े की राजनीतिक पार्टियां पिछले दो महीनों से आंदोलन कर रही हैं।इस वजह से नेपाल-भारत सीमा पर दो हफ़्तों से जारी अवरोध के कारण कच्चे माल का आयात नहीं हो पा रहा है।उत्पादन प्रभावित
भारतीय सीमा से सटे नेपाल के बीरगंज शहर में स्थित मैग्नस फ़ार्मा प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रेम जाटिया कहते हैं, “हमारा कच्चा माल भारत के रक्सौल, सुगौली सीमा के अलावा और कई जगहों पर रुका हुआ है। अगर कच्चा माल नहीं आया तो नेपाल की ज़्यादातर दवा कंपनियां आठ से दस दिन में बंद हो जाएंगी।”
नेपाल के बाज़ार में खपत होने वाली 40 फ़ीसदी से ज़्यादा दवाइयों का उत्पादन देश में ही होता है, जिनमें रक्तचाप और हृदयरोग जैसी बीमारियों की दवाएं भी शामिल हैं।काठमांडू के मार्क फ़र्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रशासकीय संयोजक चंडेश्वर वैद्य कहते हैं कि कच्चा माल न होने की वजह से कंपनियां पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही हैं।