ऐसे समय में जब शिवसेना अपने सबसे पुराने गठबंधन सहयोगी भाजपा से दूर जा रही है और महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राकांपा के करीब है शिवसेना नेता संजय राउत और राकांपा मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने शुक्रवार को राज्य की राजनीति में बदलाव पर टिप्पणी की।

मुंबई (एएनआई)। ट्विटर पर शिवसेना नेता संजय राउत ने हिंदी में ट्वीट किया, जिसमें लिखा था, 'कभी-कभी कुछ रिश्तों से बाहर आ जाना ही अच्छा होता है। अहंकार के लिए नहीं, स्वाभिमान के लिए।' बीजेपी और शिवसेना के बीच रिश्तों में दूरियां नई नहीं हैं। 1989 में महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन करने वाली दोनों पार्टियों ने पिछले 30 सालों में कई ऐसे मौके देखे हैं। 1995 में, दोनों ने पहली बार महाराष्ट्र में सरकार बनाई और मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने और गठबंधन 1999 तक सत्ता में रहा।

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— Sanjay Raut (@rautsanjay61) November 22, 2019


मलिक ने साधा अमित शाह पर निशाना
इस बीच, मलिक ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा, जिन्हें भारतीय राजनीति में 'चाणक्य' कहा जाता है और महाराष्ट्र में सरकार बनाने में भाजपा की विफलता का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें राकांपा प्रमुख पवार साहब ने हराया है। मलिक ने हिंदी में ट्वीट किया, 'आखिरकार, भारतीय राजनीति के तथाकथित चाणक्य को पवार साहब ने हरा दिया। महाराष्ट्र दिल्ली के सिंहासन के सामने नहीं झुका।'

आख़िर भारतीय राजनीती के तथाकथित चाणक्य को @PawarSpeaks साहब ने मात दे ही दी ,
महाराष्ट्र को दिल्ली का तख्त नही झुका पाया,
जय महाराष्ट्र।

— Nawab Malik (@nawabmalikncp) November 22, 2019


एनसीपी-कांग्रेस ने अन्य सहयोगियों को विश्वास में लिया
एनसीपी-कांग्रेस के छोटे सहयोगियों ने राज्य में 'महा विकास अघाडी' (एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना) सरकार में अंतिम तौर-तरीकों और उनकी भूमिका के लिए गठबंधन के नेताओं के साथ बैठक की। इन तीन प्रमुख दलों के अलावा, कांग्रेस व एनसीपी के छोटे सहयोगी जैसे स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, किसान और वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया, समाजवादी पार्टी आदि भी गठबंधन का हिस्सा होंगे। वे राज्य में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के अपेक्षित नाम 'महा विकास अघाडी' का हिस्सा होंगे। कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं के अनुसार, गठबंधन सरकार चलाने के लिए एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। कई बैठकों और कई दौर की चर्चाओं के बाद यह काम हो सका। उन्होंने यह भी बताया कि सहयोगी दलों के बीच विभागों के बंटवारे को जल्द ही एक-दो बैठकों में अंतिम रूप दिया जाएगा।
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शिवसेना-बीजेपी के रास्ते अलग
शिवसेना ने सरकार बनाने के तरीके तलाशने के लिए बीजेपी के साथ अपने रास्ते अलग कर लिए। हालांकि, पार्टी राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा दिए गए समय में विधायकों की आवश्यक संख्या के समर्थन को साबित करने में विफल रही। राज्यपाल ने तब एनसीपी, तीसरी सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित किया था, किसी के सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत न जुटा पाने के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। शिवसेना अब महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ बातचीत कर रही है। 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 105 सीटें जीतीं, उसके बाद शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 पर जीत हासिल की।
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Posted By: Vandana Sharma