Shikara Movie Review : एक खूबसूरत कविता, मगर अधूरा इतिहास
क्या है Shikara की कहानी यह फिल्म कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की कहानी है, जो अपने ही राज्य से आतंकवाद और धर्म के नाम पर खदे र दिए गए थे। निर्देशक ने शिव( आदिल खान) और शांति( सादिया) दो किरदारों की खूबसूरत प्रेम कहानी के माध्यम से इस मुद्दे को छूने की कोशिश की है। कश्मीर में शिव अपने परिवार के साथ और अपने बेस्ट फ्रेंड लतीफ जो कि मुसलमान है, उसके साथ रहता है। एक हादसा होता है और धर्म के नाम पर नफरत फैल जाती है। शिव और शांति और तमाम कश्मीरी पंडितों को अपने घर से बेघर कर दिया जाता है। लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। शिव का दोस्त और भाई जैसे दोस्त भी इस नफरत में मार दिए जाते हैं। कश्मीर के मुस्लिम कश्मीरी पंडितों की जमीन हड़प लेते हैं। आतंक वादी अपने नापाक इरादों में कामयाब हो जाते हैं। शिव लगातार अमेरिका के राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखता है। अमन शांति की अपील करता है। लेकिन कुछ नहीं होता फिल्म कि खूबसूरती है कि फिल्म नफरत नहीं प्यार का संदेश देती है। शिक्षा को अहम हथियार बताती है। फिल्म परिवार, अपनी मिट्टी से प्यार और दोस्ती की जबर्दस्त मिसाल देती है।फिल्म खूबसूरती से गहरी बात कह जाती है। लेकिन किसी भी तरह के पॉलिटिकल अप्रोच से दूर रहती है, जो कि विधु जैसे बेबाक निर्देशक से उम्मीद होती है।
क्या है अच्छा फिल्मों के कलाकार और उनका सधा हुआ सहज अभिनय, फिल्म का बैकग्राउंड, फिल्म में कश्मीरी खूबसूरती को दर्शाना, कम शब्दों में गहरी बात कह जाना, एक बेहद खूबसूरत लव स्टोरी। किसी खूबसूरत कविता की तरह फिल्म का क्राफ्ट दिखाया गया है। कश्मीरी पंडितों के मर्म को दर्शाया गया है।क्या है बुरा विधु जैसे निर्देशक भी जब सच दिखाने और एक अहम मुद्दे के राजनैतिक प्रभाव को दिखाने में झिझकते हैं तो अफसोस होता है। फिल्म में इस वास्तविक घटना के बाद सरकार का अप्रोच और राजनैतिक माहौल किस तरह प्रभावित हुआ था, उसकी फिल्म में कोई ठोस जानकारी या चित्रण नहीं है, जबकि इसे निश्चित रूप में दर्शाया जाना चाहिए था। दो किरदारों में ही फिल्म सिमट कर रह जाती है। चन्द दृश्यों को छोड़ दें तो उस दुख और व्यथा का सजीव चित्रण नहीं है। विधु का एक अहम टेक जरूरी था। चूंकि यह उनकी मां की आपबीती भी थी।
अदाकारी फिल्म में आदिल और सादिया ने जैसा अभिनय किया है। विश्वास कर पाना मुश्किल है कि दोनों नए कलाकार हैं। शानदार और सहज अभिनय। बहुत ही सादगी से अपने किरदारों को दर्शाया है। कश्मीरी लहजे खासतौर से सादिया ने बेहतरीन तरीके से अपने किरदार के साथ न्याय किया है।
वर्डिक्ट विधु विनोद चोपड़ा की फिल्मों के फैन्स और एक ज्वलंत मुद्दे पर आधारित फिल्म होने के कारण दर्शकों कि दिलचस्पी फिल्म में होगी। फिल्म एवरेज रूप से कामयाब रहेगी।बॉक्स ऑफिस प्रीडिक्शन20 से तीस करोड़रेटिंग : 3 स्टारReviewd By : Anu