Shardiya Navratri 2023 Day 1 Maa Shailaputri Bhog And Aarti: मां शैलपुत्री की पूजा करते समय जरूर पढ़ें ये मंत्र और आरती लगाएं ये प्रिय भोग
डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Shardiya Navratri 2023 Day 1 Maa Shailaputri Bhog And Aarti : इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से प्रारम्भ होकर 23 अक्टूबर तक रहेगी। नाै दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि पर्व में हर दिन मां दुर्गा के एक अलग रुप की पूजा की जाती है। नव देवियां अलग अलग दिनों में अपने विशेष गुणकारी प्रभाव के कारण जन सामान्य पर अपना आशीर्वाद बनाये रखती है। प्रत्येक देवी का एक गुणाकार महात्म होता है। ये अपने विशेष गुणों को अपने आशीर्वाद के साथ प्रसाद रुप में भक्तजन को देती रहती है। नवरात्रि के प्रथम दिन में माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां शैलपुत्री को हलवा अति प्रिय है। इसलिए इन्हें भोग में हलवा पूरी चढ़ाना चाहिए।
शैलपुत्रीः- वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रर्धकृतशेखराम्।वृषारुढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
मां शैलपुत्री देवी दुर्गा के 9 रूपों में प्रथम स्थान पर आती हैं। पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्रि की पूजा में पहले दिन इन्हीं की पूजा-अर्चना की जाती है। ये स्वाभिमान एवं दृढ़ता की प्रतिरुप मानी जाती है। इसलिए इनकी पूजा से भक्तों के जीवन में स्वाभिमान एवं दृढ़ता में वृद्धि होती है। इनका वाहन वृषभ है। शैलपुत्री देवी के दाहिने हाथ में त्रिशूल रहता है और बायें हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित रहता है। एक पौराणिक कथानुसार देवी अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में अपने पति का अपमान न सहन कर सकी। इसलिए इन्होंने योगानि द्वारा अपने को जलाकर भष्म कर लिया। इससे दुखित होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ का विधंश कर दिया था। इसके बाद यही सती अगले जन्म में शैल राज हिमालय की पुत्री के रुप में जन्मी थीं और शैलपुत्री कहलायी। इसके बाद इनका विवाह शिव जी के साथ हुआ था।
मां शैलपुत्री की आरती शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार। शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी। पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पाव। ऋद्धि- सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवा करे तू। सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। उसकी सगरी आस पूजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो। घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।