Sharda Sinha Death: लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा का गुरुवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने किया जिन्होंने भावुक माहौल में चिता को मुखाग्नि दी। बतादें कि पटना के महेंद्रू इलाके में गुलबी घाट श्मशान घाट के बाहर उनके अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों प्रशंसक जमा हुए थे।


पटना (एएनआई)। Sharda Sinha Death: प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का गुरुवार को पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें उनके लाखों प्रशंसकों द्वारा लोक संगीत की मधुर प्रस्तुतियों के लिए "बिहार कोकिला" के रूप में जाना जाता था। दिल्ली के एम्स में सेप्टीसीमिया के इलाज के दौरान 5 नवंबर की शाम को उनका निधन हो गया। शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह दिल्ली से पटना लाया गया। गुरुवार को अनुष्ठान के बाद एएनआई से बात करते हुए उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने अपनी दिवंगत मां के बारे में बात की। उन्होंने एएनआई से कहा, "उन्होंने लोक संस्कृति को और अधिक सुंदर बनाने का काम किया। उन्होंने अपने बच्चों को भी यही संस्कृति दी और उसका महत्व समझाया। उनकी यही इच्छा थी कि युवा हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहें। अब वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचारों और उनके काम से हम प्रेरणा ले सकते हैं।" शारदा सिन्हा के परिवार ने पहले ही खुलासा किया था कि उनका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर किया जाएगा, जहां पटना में उनके पिता का अंतिम संस्कार किया गया था। अंशुमान ने कहा, "यह हमारे लिए दुखद समय है।" "वह हम सभी के बहुत करीब थीं और यह उन सभी के लिए सदमा है जो उन्हें जानते थे। मेरी मां की उपस्थिति हमेशा उनके गीतों के माध्यम से महसूस की जाती थी और उनका मातृत्व उनके संगीत और उनके व्यक्तित्व दोनों में झलकता था। वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी।" पीएम मोदी ने अपूरणीय क्षति बतायाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सिन्हा के निधन को संगीत जगत के लिए "अपूरणीय क्षति" बताया। उन्होंने भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत शैलियों में उनके अपार योगदान की प्रशंसा की, विशेष रूप से उनके गहरे मार्मिक छठ गीतों के लिए, जो वार्षिक छठ पूजा समारोहों का मुख्य हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "उनके मधुर गीतों की गूंज हमेशा बनी रहेगी।"पारंपरिक लोक संगीत परिदृश्य पर सिन्हा के प्रभाव ने एक अमिट छाप छोड़ी है, उनकी आवाज बिहार की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग बनी हुई है। अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध, वह एक कल्चर एंबेसडर थीं, जिन्होंने बिहार के लोक संगीत के सार को देश भर और विदेशों में दर्शकों तक पहुंचाया। लोक संगीत परंपरा में एक युग का अंत
शारदा सिन्हा का निधान बिहार की लोक संगीत परंपरा में एक युग का अंत है। 1970 के दशक में शुरू हुआ उनका करियर दशकों तक चला और इसमें भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अनगिनत योगदान शामिल थे। उन्हें विशेष रूप से छठ त्योहार से जुड़े गीतों के गायन के लिए जाना जाता था, जो बिहार का एक प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसका संगीत पर्याय बन गया था। उनकी शक्तिशाली और मधुर आवाज, भूमि और उसकी परंपराओं से उनके गहरे जुड़ाव ने उन्हें न केवल बिहार में बल्कि पूरे भारत में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया।

Posted By: Shweta Mishra