यह बायोपिक केवल एक ह्यूमन कंप्यूटर कहलाने वाली एक महिला की बायोपिक नहीं है बल्कि उन तमाम महिलाओं की कहानी है जो शादी-बच्चे परिवार और दुनियादारी के बीच &मैं&य यानि खुद को भूल जाती हैं। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : शकुंतला देवी

कलाकार : विद्या बालन, सान्या मल्होत्रा, जीशु सेनगुप्ता, अमित साध, शीबा चड्डा

निर्देशक : अनु मेनन

लेखन : अनु मेनन , नयनिका महतानी

ओटी टी चैनल : अमेजॉन प्राइम वीडियो

रेटिंग : तीन स्टार

जब वी मेट में करीना कपूर ने गीत का किरदार निभाया था। वह हमेशा कहती थी मैं अपनी फेवरेट हूं। उस फिल्म के इस संवाद को विद्या बालन अपनी नयी फिल्म शकुन्तला देवी में पूरी तरह सार्थक करती हैं। शकुंतला देवी ने अपनी जिन्दगी अपने मार्फिक जी। लोग क्या कहेंगे की परवाह नहीं की। अपनी शर्तों पर जिन्दगी जी। अंकों में उन्हें कोई हरा नहीं सकता था, लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी गुना भाग करके और कभी कैल्क्यूलेट कर नहीं जिया। अफेयर्स रहे तो रहे, शादी की, लेकिन अपनी ख़ुशी को फिर भी तवज्जो दी।

क्या है कहानी
शकुंतला( विद्या बालन) बंगलुरू तब बंगलौर की रहने वाली है। उसके पास गॉड गिफ्टेड तोहफा है, उसका दिमाग, जिसमें अंकों का कैलक्युलेशन वह कंप्यूटर से भी तेज करती है। बचपन में इसी गुण का दुरूपयोग कर शकुंतला के पिताजी पैसे बनाने में करते हैं। शकुंतला बीमारी के कारण बहन को खो देती है और अपने पेरेंट्स से दूर रहने लगती है। उसे अपनी मां की तरह कभी नहीं बनना, जो पिताजी की बात चुपचाप सुनती है। वह अपने धोखेबाज बॉयफ्रेंड को गोली भी मार देती है। उसे मगर इसका अफ़सोस नहीं। विदेश जाती है। फिर वहां अपने अंकों का सर्कस दिखाती है। पूरी दुनिया हैरान है। शकुंतला कभी स्कूल नहीं गई, फिर भी गणित में इतनी तेज कैसे। अपनी शर्तों पर बॉय फ्रेंड बनाती है। जीवन साथ भी चुनती है। लेकिन अपने करियर से समझौता करने को तैयार नहीं। हाँ, मगर वह अपनी बेटी की अच्छी मां जरूर बनना चाहती है। बेटी अनु( सान्या) अपनी मां से तंग आ चुकी है, चूंकि वह उसे अपने बाबा ( जीशु ) से अलग रह रही है। बेटी और मां के बीच तनाव शुरू होते हैं। लेकिन इन सबके बीच शकुंतला देवी अपनी पहचान से कोई समझौता नहीं करतीं।

View this post on Instagram The queen of problem-solving, be it maths or life! Meet #ShakuntalaDeviOnPrime July 31, on @primevideoin. Trailer out now! @sanyamalhotra_ @senguptajisshu @theamitsadh @lucalvani @directormenon @sonypicsprodns @ivikramix @abundantiaent @shikhaarif.sharma

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क्या है अच्छा
यह फिल्म इसलिए देखनी चाहिए, क्योंकि फिल्म सिखाती है कि खुद से प्यार करना क्यों जरूरी है। कई संवाद बेहतरीन हैं। कलाकारों का काम बेहतरीन है। राइटिंग टीम बधाई की पात्र है।

क्या है बुरा
फिल्म का नैरेटिव स्टाइल बोरिंग है। शकुंतला देवी और उनके अंकों का सर्कस के अलावा कहानी में उनकी जिन्दगी के और पहलू दिखाए जा सकते थे। वह मिसिंग रहे।

अदाकारी
विद्या ने परफेक्ट अभिनय किया है। एक और बेहतरीन किरदार उनकी फेहरिस्त में। युवा शकुंतला और बुजुर्ग दोनों ही किरदारों बेहतरीन तरीके से निभाया है। जीशु ने चंद दृश्यों में ही चौंकाया है। सान्या एक उलझी बेटी के रूप में अच्छा अभिनय किया है। अमित ने अच्छा सहयोग किया है। शीबा चड्डा दो दृश्यों में भी आई हैं, लेकिन नोटिस करा जाती हैं।

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Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari