हमारा ब्रह्मांड कितना विचित्र और चौंकाने वाला है जिसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है लेकिन इस बार तो दुनिया भर के वैज्ञानिकों का अंदाजा ही उल्‍टा साबित होता दिख रहा है। जी हां अमेरिकी वैज्ञानिकों के दल ने यूनीवर्स में एक ऐसी गैलक्‍सी खोज निकाली है जिसमें डार्क मैटर नाम की चीज ही नहीं है। जबकि आजतक वैज्ञानिक मानते चले आ रहे हैं कि बिना डार्क मैटर के कोई आकाशगंगा बन ही नहीं सकती।

ब्रह्मांड के सर्वमान्य नियम को बदलकर रख दिया इस आकाशगंगा ने

वाशिंगटन: सालों से दुनिया भर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में मौजूद डार्क मैटर का रहस्य सुलझाने में जुटे था। इस पर उनकी आम राय यह है कि ब्रह्मांड में फैले इस रहस्यमयी डार्क मैटर से ही आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ है। अब वैज्ञानिकों को मिली एक ऐसी गैलेक्सी, जिसमें डार्क मैटर मौजूद ही नहीं है। इस खोज ने अंतरिक्ष और आकाशगंगा के निर्माण से जुड़े सभी रहस्यों को सुलझाने की बजाय फिर से उलझाकर रख दिया है।

इस गैलेक्सी में क्या है अनोखापन?

बता दें कि अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी की स्पेस रिसर्च टीम ने हब्बल स्पेस टेलीस्कोप के साथ हवाई स्थित दो वेधशालाओं से जुटाई जानकारी के आधार पर बिना डॉर्क मैटर वाली इस गैलेक्सी की पहचान की है। इस गैलेक्सी को नाम दिया गया है - NGC1052-DF2। इस गैलेक्सी को फिलहाल अल्ट्रा डिफ्यूज गैलेक्सी सेग्मेंट में रखा गया है। अल्ट्रा डिफ्यूज गैलेक्सी आकार और भार में तो सामान्य आकाशगंगा जैसी ही होती है लेकिन इसके केवल एक परसेंट तारे ही चमकते हुए दिखाई देते हैं। पहली बार 2015 में इस तरह की गैलेक्सी की खोज हुई थी। अभी तक मिली किसी भी अल्ट्रा डिफ्यूज गैलेक्सी में से डार्क मैटर का अभाव नहीं था। जब रिसर्च टीम ने NGC1052-DF2 की बनावट और किसी अन्य गैलेक्सी के प्रभाव का पता लगाने के लिए जेमिनी मल्टी ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ यानि GMOS से ली गई तस्वीरों का अध्ययन किया तो उन्होंने पाया कि इस आकाशगंगा का पूरा द्रव्यमान इसमें मौजूद तारों के भार के बराबर ही है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि इसमें डार्क मैटर ना के बराबर ही होगा। इस आकाशगंगा का यही फीचर पूरी दुनिया के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए बड़ा सवाल बन गया है, जिसका तुंरत जवाब मिल पाना आसान नहीं है।

इनपुट: प्रेट्र

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Posted By: Chandramohan Mishra