वैज्ञानिकों ने किया अनोखा दावा उम्र बढ़गी पर नहीं आयेगा बुढ़ापा
प्रोग्राम किया जा सकता है इंसानी शरीर
वैसे ये हमेशा से कहा जाता रहा है कि इंसानी शरीर भी एक मशीन की तरह ही है। यही वजह है कि मशीन की ही तरह इसमें धीरे धीरे इस्तेमाल के बाद कुछ दिक्कतें आने लगती है जिन्हें हम बीमारी या बुढ़ापे की निशानियां कहते हैं। इसी लिए इसे सुधार और पूरी देखभाल की भी आवश्यकता होती है। अब इस नयी रिसर्च में कुछ और आगे की बात कही गया है। जिसके अनुसार मानव शरीर एक कंप्यूटर की तरह है और इसीलिए इसे प्रोग्राम किया जा सकता है। ऐसी ही एक प्रोग्रामिंग, जिसे वैज्ञानिकों ने सेल्युलर प्रोग्रामिंग का नाम दिया है, के द्वारा बॉडी के एजिंग साइन्स को प्रोग्राम करके कंट्रोल किया जा सकता है।
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बॉडी प्रोटीन को बस में कर के होगा कमाल
शोधकर्ताओं के अनुसार बुढ़ापे की सबसे बड़ी पहचान झ़र्रियां होती हैं। दरसल इंसान के शरीर में त्वचा के नीचे प्रोटीन की एक परत होती है। यही प्रोटीन मनुष्य को यौवन की चमक देता है और बढ़ती उम्र के साथ ये घटने लगता है और एक समय के बाद बनना बंद हो जाता है। रिसर्चस का दावा है कि वो अपनी सेल्यूलर प्रोग्रामिंग के जरिए इस प्रोटीन के बनने की प्रक्रिया को खत्म होने से रोक सकते हैं। इससे झुर्रियां और बुढ़ापे के कोई भी चिन्ह उभरना रुक जायेगा और इंसान हमेशा जवान दिखेगा और रहेगा।
अभी समय लगेगा
हालाकि वैज्ञानिकों ने ये भी कहा कि बेशक उन्हें इस रहस्य का पता चल गया है लेकिन बुढ़ापा रोकने की पूरी प्रोग्रामिंग को वास्तव में प्रयोग में आने में अभी काफी समय लगेगा। उनका कहना है कि हमारा अनगिनत छोटे छोटे सेल्स से मिलकर बना है। इन सेल्स को रिप्रोग्राम करके उस स्थिति में लाना होगा जैसे वो इंसान के जन्म के समय होते हैं। ये सब होगा मानव जीन्स में बदलाव करके। ताकि वो नए दिखने लगें और उनमें नई ऊर्जा आ जाये। ऐसा करने पर सेल्स की और उनकी उम्र बढ़ जाती है। इसी के परिणाम स्वरूप शरीर से झुर्रियां ग़ायब हो जाएंगी, सफ़ेद बाल फिर से काले हो जाएंगे और कमजोर होते शरीर को नयी उर्जा मिल सकेगी। बिना किसी शक के सफल होने के बाद ये प्रयोग मानव जाति का सबसे बड़ा कमाल साबित होगा, लेकिन अभी ये थ्योरी है प्रेक्टिकली ये करने में अभी काफी अध्ययन की जरूरत पड़ेगी।
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प्रजोरिया के मरीजों के इलाज के लिए किया गया था शोध
दरसल ये खोज प्रिजोरिया के मरीजों के इलाज के लिए किये जा रहे शोध के दौरान सामने आयी। इस बीमारी में इंसान बचपन में ही बुढ़ापे का शिकार हो जाता है। फिल्हाल शोध करने वालों का कहना है कि बढ़ती उम्र का प्रभाव रोकने की इस प्रक्रिया को संभव बनाने के लिए इंसान के डीएनए में बदलाव करना होगा। इस बदलाव के लिए जन्म के समय ही डीएनए में छेड़छाड़ करनी होगी जो कि एक जटिल प्रक्रिया है। इसके बावजूद वैज्ञानिकों को विश्वास है कि वो ऐसा करने में कामयाब हो सकेंगे।
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