रोड रेज मामले में सिद्धू को हुई 1 साल की सजा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
नई दिल्ली (एएनआई)। सुप्रीम कोर्ट ने 34 साल पुराने रोड रेज मामले में काग्रेंस के पूर्व प्रेसिडेंट नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की कैद की सजा सुनाई है। पीड़ित परिवार की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सजा के मुद्दे पर समीक्षा आवेदन की अनुमति दी है। नवजोत सिंह सिद्धू पर लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कारावास की सजा का प्रावधान करते हैं। यह फैसला जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल के पैनल ने दिया।याचिका का किया था विरोध
इससे पहले अदालत ने पीड़िता के परिवार द्वारा दायर 34 साल पुराने रोड रेज मामले में पुनर्विचार याचिका को सुरक्षित रख लिया था। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश का हवाला देते हुए अपने खिलाफ रोड रेज मामले का दायरा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि इस बात का कोई सबूत नहीं था कि रोड रेज मामले में पीड़ित की मौत एक ही झटके में हुई थी। सिद्धू का यह बयान पीड़िता के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक आवेदन का जवाब देते हुए आया जिसमें उनके खिलाफ 1988 के पुराने रोड रेज मामले में समीक्षा याचिका में नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग की गई थी। सिद्धू ने याचिकाकर्ता द्वारा नोटिस के दायरे को बढ़ाने के लिए दायर आवेदन का जवाब देते हुए कहा कि आवेदन में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।हाई कोर्ट ने सुनाई थी 3 साल की सजा
इससे पहले सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था लेकिन उन्हें स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध का दोषी ठहराया गया था। अदालत ने सिद्धू पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। अदालत ने मामले में सिद्धू के सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू को भी बरी कर दिया था। इसके बाद मामला सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। पटियाला के सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ने 22 सितंबर, 1999 को सिद्धू और उनके सहयोगी को मामले में सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देने के कारण बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित परिवारों ने इसे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने 2006 में सिद्धू को दोषी ठहराया और तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। सिद्धू ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अपील दायर की। आपको बता दें कि यह मामला 27 दिसंबर, 1988 का है, जहां सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह के सिर पर वार किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी।