Sawan Somvar 2022: सावन में शिव जी की पूजा होती है। भक्त भोलेनाथ का व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। इस सावन सोमवार को शिव जी की पूजा कैसे करनी है। जानें मंत्रों से लेकर पूजन तक का तरीका।

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Sawan Somvar 2022 शिव के इस अत्यधिक प्रिय सावन मास में महामृत्युंजय मंत्र, शिव सहस्त्रनाम, रुद्राभिषेक, शिवम हिमन्न स्त्रोत, महामृत्युंजय सहस्त्र नाम आदि मंत्रों का व्यक्ति जितना अधिक जाप कर सके उतना श्रेष्ठ होता है। स्कन्द पुराण के अनुसार प्रत्येक दिन एक अध्याय का पाठ करना चाहिए। यह माह मनोकामनाओं का इच्छित फल प्रदान करने वाला होता है। नियम पूर्वक शिव पर बिल्व पत्र प्रतिदिन निश्चित संख्या में (5,11,21,51,108) तथा अर्क पुष्प चढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए।

रुद्राष्टाध्यायी पाठ का विशेष फल
इस माह रुद्राष्टाध्यायी पाठ द्वारा शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए तथा रुद्री पाठ द्वारा सहस्त्रधारा से अभिषेक करना चाहिए।इस माह में मंत्रों षडाक्षर शिव मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का पुनःश्चरण भी अति उत्तम है। इस माह में बिल्व वृक्ष तथा कल्प वृक्ष का भी पूजन करना उत्तम रहता है।

सावन में शिव का कैसे करें पूजन
इस व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक ही समय भोजन किया जाता है। इस व्रत एवं पूजन में शिव एवं माता पार्वती का ध्यान कर शिव का पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए पूजन करना चाहिए। सावन के प्रत्येक सोमवार को श्री गणेश जी, शिव जी,पार्वती जी तथा नंदी की पूजा करने का विधान है। शिव जी की पूजा में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, रोली, चावल, फूल, बिल्व पत्र, दूर्वा, आक, धतूरा, कमलकट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंच मेवा, धूप, दीप, दक्षिणा सहित पूजा करने का विधान है। साथ ही कपूर से आरती करके भजन, कीर्तन और रात्रि जागरण भी करना चाहिए। पूजन के पश्चात रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए।ऐसा करने से भोलेनाथ शिव शीघ्र ही प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सोमवार का व्रत करने से पुत्र, धन, विद्या आदि मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

शिव पूजा में बेल पत्र का महत्व
बिल्व पत्रों का भगवान शिव की पूजा में विलक्षण महत्व है। भगवान शिव बिल्व पत्रों से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पुराणों के अनुसार बिल्व पत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप नाश करने वाले होते हैं। बिल्व पत्र के सम्बंध में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि अन्य सभी पुष्प तो सीधी अवस्था में भगवान पर चढ़ाये जाते हैं, लेकिन एक मात्र बिल्व पत्र ही ऐसा है जो उल्टा रखकर भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है।खास बात यह है कि बिल्व पत्र को पुनः धोकर भी चढ़ाया जा सकता है। इसमें किसी प्रकार का दोष नहीं लगता।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari