सऊदी अरब में अवैध अप्रवासी कामगारों की धरपकड़
पिछले तीन महीनों में करीब दस लाख बांग्लादेशी, भारतीय, नेपाली, पाकिस्तानी, यमनी और अन्य देशों से आए अप्रवासी सऊदी अरब छोड़कर जा चुके हैं.रविवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले करीब चालीस लाख कामगारों ने सऊदी अरब में काम करने का परमिट हासिल किया.इंडोनेशिया के अधिकारियों के मुताबिक करीब चार हज़ार इंडोनेशियाई नागरिक जेद्दा में हिरासत में रखे गए हैं. ये लोग प्रत्यर्पण का इंतज़ार कर रहे हैं.ये लोग एक अपना सारा सामान लेकर एक फ्लाईओवर के नीचे इकट्ठा हो गए और खुद को प्रशासन के हवाले कर दिया.आधी कामगार आबादीएक अनुमान के मुताबिक सऊदी अरब में करीब 90 लाख अप्रवासी कामगार रहते हैं. ये सऊदी अरब में कार्यरत कुल लोगों की आधी संख्या के बराबर हैं. अप्रवासी कामगार सऊदी अरब के दफ़्तरों और उद्योगों में कार्यरत हैं तथा मज़दूरी भी करते हैं.
अरब देशों में सऊदी अरब सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन सऊदी नागरिकों में बेरोजगारी की दर 12 प्रतिशत है और प्रशासन अब इसे कम करने की कोशिशें कर रहा है.सरकार ने पहले कहा था कि यदि कोई अवैध प्रवासी पकड़ा जाता है तो उसे क़ैद, जुर्माना हो सकता है या उसे वापस भी भेजा जा सकता है.
"मुझे कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी कार और घर बेचना पड़ा. सबकुछ इतनी जल्दी हुआ है कि मैं इस बदलाव के लिए तैयार भी नहीं था, कभी-कभी मुझे आत्महत्या का भी ख्याल आता है."-सऊदी अरब से भारत लौटे स्वामीनाथनहुकूमत ने कहा है कि क़ानून का उलंघन करने वाली कंपनियों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा.सऊदी अरब के उपश्रम मंत्री मिफ़रिज़ अल हक़बानी ने बीबीसी अरबी रेडियो के कार्यक्रम में कहा, "श्रम मंत्रालय ने उन कंपनियों की पहचान कर ली है जो श्रम क़ानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. ये वे कंपनियां हैं जिनके कामगारों के पास कराम करने का परमिट नहीं है और वो बिना परमिट के लोगों को काम दे रही हैं. हम कंपनियों में जाकर कामगारों के दस्तावेज़ों का निरीक्षण करते हैं."भारत पर असरनए श्रम क़ानूनों का भारत के अप्रवासी कामगारों पर व्यापक असर पड़ रहा है. सऊदी अरब में बीस लाख से अधिक अप्रवासी भारतीय काम करते हैं. इनमें से करीब एक लाख लोग अवैध रूप से सऊदी अरब में थे.सऊदी अरब में भारत के दूतावास के मुताबिक रविवार को समयसीमा समाप्त होने से पहले अवैध रूप से रह रहे 95 प्रतिशत भारतीय प्रवासी वापस लौट चुके हैं.
भारतीय दूतावास ने दम्माम के तहरील में नागरिकों की मदद के लिए हेल्पलाइन भी शुरू की है. दूतावास के मुताबिक अब तक दस लाख से ज़्यादा अप्रवासी भारतीय सऊदी में रहने के लिए दी गई रियायतों का फ़ायदा उठाकर अपने दस्तावेज़ ठीक करवा चुके हैं.सऊदी अरब से भारत लौटने वालों में एक स्वामीनाथन ने कहा, "मुझे कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी कार और घर बेचना पड़ा. सबकुछ इतनी जल्दी हुआ है कि मैं इस बदलाव के लिए तैयार भी नहीं था, कभी-कभी मुझे आत्महत्या का भी ख्याल आता है."अप्रवासी कामगारों की वापसी का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. विदेशों में रह रहे भारतीयों ने पिछले साल करीब 70 अरब डॉलर भारत भेजे थे.शोषणमानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब की श्रम प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा है कि यहाँ कामगारों का शोषण किया जाता है.
ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, "सऊदी अरब में लागू कफ़ाला प्रणाली के तहत कामगार ज़मानत देने वाली कंपनी यानी जो उसे लेकर जाता है उसके साथ बंध जाता है. कामगार को नौकरी बदलने या देश छोड़कर जाने के लिए उसकी अनुमति की ज़रूरत होती है. जिसका स्पॉनसर ग़लत इस्तेमाल करते हैं और कामगार के पासपोर्ट और वीज़ा को अपने पास जब्त कर लेते हैं. अप्रवासियों से जबरदस्ती काम करवाया जाता है और उनकी तनख्वाह भी रोक ली जाती है."