सच्चे सुकून के लिए त्यागें बदले की भावना: संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
हर इंसान सुबह से रात तक किसी न किसी कार्य में लगा रहता है। जब भी हम कोई कार्य करते हैं, तो काम करने के लिए हमें औरों से संपर्क करना पड़ता है-चाहे हम ऑफिस में हों, घर पर हों, या फिर किसी सामाजिक गतिविधि में लगे हुए हों। और कई बार इंसान यही सोचता है कि मेरा काम होने में कोई न कोई बाधा डाल रहा है, कोई न कोई रुकावट डाल रहा है। जब हमारे सामने तकलीफें आती हैं, तो हम उन्हें कैसे झेलें और हम कैसा व्यवहार करें, हम मन ही मन यह सोचते रहते हैं। अगर किसी ने हमारे साथ कोई गड़बड़ की हो, तो हमारे अंदर भी यही विचार होते हैं कि हम भी उसके साथ गड़बड़ करें। पर अगर आप ध्यान से सोचेंगे तो पायेंगे कि अगर एक आदमी ने कोई गलत काम किया है और दूसरा भी बदले में गलत काम करता है, तो पहला और ज्यादा गलत काम करता है, फिर दूसरा और ज्यादा गलत काम करता है, और गलत चीजें दिन पर दिन बढ़ती चली जाती हैं। उससे तकलीफ सिर्फ उन दोनों को ही नहीं, बल्कि जितने भी लोग उनके दायरे में आते हैं, उन सबको होती है।जो भी धरती पर है उसे कोई न कोई दुख जरुर है
तो प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए? जो भी इस धरती पर आता है, उसको कोई न कोई दुख लगा रहता है। ज्यादातर हम सोचते हैं कि दुख हमें औरों की ओर से आ रहा है। हम यही सोचते हैं कि हम बिल्कुल ठीक हैं, बाकी सारे गलत हैं। और फिर हम उनको और ज्यादा दुख देने की कोशिश करते हैं। तो इंसान की प्रतिक्रिया कैसी हो, ताकि हमारी तरफ जो दुख आया है उससे हम निपट सकें। जब हम महापुरुषों की जिंदगी की ओर देखते हैं, तो उनमें से कइयों की जिंदगी में बहुत तकलीफें आईं, लेकिन उन्होंने उन तकलीफों के जवाब में औरों को तकलीफें नहीं दीं। ईसा मसीह को जब सूली पर चढ़ाया गया, तो उनकी ज़ुबान से यही निकला कि हे प्रभु! ये इंसान जो मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं, ये नासमझ हैं, तो आप अपनी मौज में इन्हें माफ कर दीजिएगा। यानी जब दुख उनकी तरफ आया, तो उन्होंने उसे सहन किया और अपनी तरफ से प्रेम औरों की तरफ पहुंचाया। प्रेम में मालकियत हिंसा ही तो है : ओशोयुवाओं की ऊर्जा का और बेहतर तरीके से हो सकता है इस्तेमाल: सद्गुरु जग्गी वासुदेव
गांधी के सिद्धआंतों पर चलो, सुख-चैन की नींद पाओमहात्मा गांधी कहा करते थे कि अगर कोई आपके एक गाल पर थप्पड़ मारता है, तो यह नहीं कि आप जोर से उसे थप्पड़ मारें, बल्कि आप अपना दूसरा गाल भी उसके आगे कर दीजिए। यह करना मुश्किल है, कहना बहुत आसान है। जिसने ऐसा किया वह इंसान सुख-चैन की जिंदगी जीता है और जो थप्पड़ का जवाब मुक्के से देता है, उसकी जिंदगी दुख-दर्द से भरी रहती है। बहुत बार, जब हमारे सामने कोई तकलीफ आ जाती है, तो हम लोग शांत नहीं रह पाते। जब कोई हमें तकलीफ देता है, तो उस पर प्रतिक्रिया करना बहुत आसान है, गुस्से में जवाब देना भी बहुत आसान होता है। लेकिन बलवान वह नहीं जो लड़ाई करे। बलवान वह है जो हर अवस्था में शांत रहे, चाहे कोई भी दुख-दर्द आए, चाहे कोई भी तकलीफ आए।