55 साल की मेहनत का फल, सिर्फ पद्मश्री मेरा अपमान होगा: सलीम खान
क्या कहा सलीम खान ने
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सलीम खान ने कहा है, 'मीडिया में जो खबरें थीं, उससे मुझे लग रहा था कि मुझे पद्म भूषण दिया जा रहा है, लेकिन मुझे मिनिस्ट्री से फोन आया और बताया गया कि मुझे पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा रहा है.' इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'मेरे सहयोगी जावेद अख्तर को पद्म भूषण और पद्मश्री दोनों सम्मानों से नवाजा जा चुका है. अब इतने सालों बाद सरकार को मेरी याद आई है. वह भी पद्मश्री के लिये. फिलहाल मैंने उन्हें मना कर दिया है. मुझे मेरी 55 साल की मेहनत का जो फल मिल रहा है, उससे यह शायद मेरा अपमान होगा.' उन्होंने कहा कि जावेद और उन्होंने 22 साल तक एक साथ काम किया है. एक को सम्मान मिल चुका है. उसके बाद भी वह अब तक इंतजार कर रहे थे, लेकिन पद्मश्री के लिए नहीं.
सम्मान पर उठाये सवाल
बताया जा रहा है रविवार रात को मंत्रालय की ओर से जारी पद्म भूषण सम्मान की सूची में जब सलीम खान ने अपना नाम नहीं पाया तो उसी वक्त उन्होंने मीडिया में अपना बयान जारी कर दिया. ऐसे में सलीम खान ने कहा, 'मैं पद्मश्री सम्मान के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हूं, लेकिन उन्होंने मुझे इतनी देर से सिर्फ पद्मश्री देना तय किया है. अब इतना समय इंतजार करने के बाद उन्हें मुझे कुछ ऐसा देना होगा, जो मेरे लेवल का हो. पद्मश्री तो मुझसे जूनियर पचासों लोगों को अब तक मिल चुका है.' उन्होंने सवाल उठाया कि क्या 79 साल की उम्र में उन्हें यह सम्मान मिलना उचित है.
एक नजर बीते पन्नों पर
बीते पन्नों पर नजर डालें तो सामने आता है कि सलीम खान ने जावेद अख्तर के साथ मिलकर दीवार, शोले, जंजीर और त्रिशूल जैसी कई बड़ी और कामयाब फिल्मों की कहानी लिखी थी. उन्होंने अपने बेहद कामयाब सफर के बाद सरकार की ऐसी कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठाई और कहा कि सरकार की कार्यप्रणाली में कुछ तो गलत जरूर है. हालांकि, इसके आगे उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसा करके वह किसी तरह का कोई विवाद नहीं खड़ा करना चाहते हैं. बताते चलें कि सलीम खान और सलमान खान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया गया था. ये दोनों उस समारोह में शामिल भी हुये थे.