महान लोग अपने कार्य का श्रेय ईश्वर या फिर समाज को देते हैं।

आंध्र के पोतन्ना नामक संत कवि कृषक थे। खेती द्वारा जीवन-निर्वाह करते थे। भगवान की भक्ति में सदैव लीन रहते थे। संस्कृत का अधिक ज्ञान न था, लेकिन अध्ययन करते-करते उन्हें कुछ ज्ञान अवश्य हो गया था। इसीलिए वे भागवत का तेलुगु में अनुवाद कर लेते थे।

उन्होंने जब यह ग्रंथ लिखा, तो मित्रों ने सलाह दी कि यदि ग्रंथ राजा को समर्पित किया जाएगा, तो खूब प्रचार होगा ही, साथ ही धन भी अधिक मात्रा में मिलेगा। भक्त कवि ने यह बात अनसुनी कर जवाब दिया, 'मैं इस पर सोचूंगा। जब उन मित्रों ने समर्पण-पत्रिका देखी, तो उन्होंने यह लिखा पाया-यह भगवान की कृति भगवान को ही समर्पित है।

कथासार

महान लोग अपने कार्य का श्रेय ईश्वर या फिर समाज को देते हैं।

 

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Posted By: Kartikeya Tiwari