हमें हमेशा ये कहा जाता है कि अपने अंदर इच्छाओं को मत पालो तो फिर हमें क्या करना चाहिए? इच्छाएं खुद में समस्या नहीं हैं। ये असल में बेहद खबूसूरत होती हैं। इच्छाएं वो एनर्जी हैं जो हमें आगे बढ़ाती हैं।


साध्वी भगवती सरस्वती (धर्मगुरु) लोग हर दिन सुबह इसलिए उठते हैं, क्योंकि उनकी इच्छा है कि वे अपनी नौकरी ना खोएं या अपने घर को साफ रखें और इस बात का ध्यान रखें कि उनके बच्चे लंच बॉक्स के साथ स्कूल जाएं। वहीं आध्यात्मिकता के रास्ते पर चलने वाले लोग सुबह इसलिए उठते हैं, कि वे ध्यान या योग करके गहरे आध्यात्मिक कनेक्शन का एक्सपीरियंस कर सकें। जो चीजें हमें बेड से बाहर निकलने के लिए मजबूर करती हैं, वो कई तरह की हो सकती हैं, पर वे सब जिस एक कॉमन चीज को शेयर करती हैं, वह है इच्छाएं।इच्छाओं से मुक्ति की प्रेरणा


अगर हमारी कोई इच्छा ही नहीं होगी, तो फिर रोज सुबह उठने या कुछ भी करने की कोई इंस्पिरेशन ही नहीं होगी। पर संत, महात्मा, ऋषियों और भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी हमें इच्छाओं से मुक्त होने के लिए इंस्पायर किया है, क्योंकि जब हम कुछ करना चाहते हैं और वह नहीं होता है, तो हम बहुत परेशान हो जाते हैं। ऐसी इच्छाओं में भी अंतर है।क्षमता के अंदर ही इच्छा करें

जैसे अगर हम एक नई पैंट चाहते हैं, तो यह कोई समस्या नहीं है। पर अगर हमें वह नहीं मिलती है, तब हम दुखी हो जाते हैं। हम उस चीज की शिकायत अपने प्रियजनों से करते हैं। मैंने कहा था कि मुझे एक नई पैंट चाहिए। अब नई पैंट ना मिली तो दुखी हो गए। ऐसे में जरूरी यह नहीं कि हम इच्छा ना करें, पर जरूरी है कि हम अपनी क्षमता के अंदर व आवश्यक चीजों की ही इच्छा करें।

Posted By: Satyendra Kumar Singh