अमेरिका में विदेश मंत्री जयशंकर बोले, कश्मीर में विकास शुरू होते ही पाक का 70 साल का मंसूबा धरा का धरा रह जाएगा
वाशिंगटन (एएनआई)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। मंगलवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जब जम्मू-कश्मीर में तेजी से विकास होगा, तो राज्य के खिलाफ पिछले 70 सालों से चल रही पाकिस्तान की तमाम गलत योजनाएं खत्म हो जाएंगी। जयशंकर ने कहा, 'अगर हम कश्मीर में विकास कर देते हैं, तो यह समझें कि पिछले 70 वर्षों से पाकिस्तानियों ने जो कुछ भी वहां के लिए योजनाएं बनाई हैं, वह पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। यही कारण है कि वह इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।' बता दें कि विदेश मंत्री ने एक थिंक-टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में अपने भाषण के दौरान यह बात कही।भारत ने किया है ऐसी चुनौतियों का सामना
इस कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि कश्मीर पर भारत अपने चुनौतियों का समाधान कैसे करेगा, इसपर जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, 'भारत ने अपने नॉर्थ-ईस्ट के क्षेत्रों में ऐसी चुनौतियों का सामना किया है। आज आप देखिए कि नॉर्थ-ईस्ट काफी हद तक शांत है। वहां के लोग आजकल कमाने में जुटे हैं, अब वहां सुरक्षा बलों पर पत्थर नहीं फेंका जाता है।' जयशंकर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विकास और सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करना बेहद जरूरी था।इसलिए बंद किया गया मोबाइल नेटवर्कइस दौरान जयशंकर ने कहा, '70 साल से अधिक समय से कश्मीर में हालात को बिगाड़ने का काम चल रहा हैं। वह स्थानीय लोगों को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में मोबाइल नेटवर्क को निलंबित करने का उद्देश्य इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकना है। इसके अलावा राज्य में विकास करना है और इस बात को भी सुनिश्चित करना है कि किसी के जीवन का नुकसान ना हो।इमरान खान ने जिहादियाें को कश्मीर से दूर रहने को कहाकोई नहीं दे रहा पाकिस्तान का साथ
बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए। यहां तक पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र में भी पहुंच गया लेकिन यहां भी भारत के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने उसका आंतरिक मामला बताया और इसका समर्थन भी किया। वहीं, पाकिस्तान ने अबू धाबी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय सहित दुनिया भर के कई नेताओं को इस मुद्दे पर दखल देने के लिए कहा है लेकिन कोई भी देश उसके समर्थन में आगे नहीं आया।