आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज इस्लामिक स्काॅलर्स के साथ बैठक की। बैठक में ज्ञानवापी विवाद हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसी हालिया घटनाओं पर चर्चा हुई।

नई दिल्ली (एएनआई)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को प्रमुख इमाम डॉक्टर इमाम उमर अहमद इलियासी सहित कई इस्लामिक स्काॅलर्स से मुलाकात की। आरएसएस के करीबी सूत्रों के अनुसार बैठक में हिजाब विवाद, ज्ञानवापी और धर्मों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। मोहन भागवत के अलावा डॉक्टर कृष्ण गोपाल, इंद्रेश कुमार, रामलाल और करिश कुमार सहित आरएसएस के वरिष्ठ सदस्यों ने भी आज की बैठक में भाग लिया। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि बैठक 'संवाद' प्रक्रिया का एक हिस्सा थी। अंबेकर ने कहा, आरएसएस सरसंघचालक सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं। यह एक सतत सामान्य संवाद प्रक्रिया का हिस्सा है।

Delhi | RSS chief Mohan Bhagwat held a meeting with Dr Imam Umer Ahmed Ilyasi, Chief Imam of All India Imam Organization, at Kasturba Gandhi Marg mosque today pic.twitter.com/vxfo0IPsMa

— ANI (@ANI) September 22, 2022


हालिया घटनाओं पर चर्चा हुई

हिजाब को लेकर कर्नाटक कॉलेज से शुरू हुआ विवाद फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। खुफिया एजेंसियों के निष्कर्षों में यह भी सामने आया कि विवाद को ट्रिगर करने के पीछे पीएफआई का हाथ था। ज्ञानवापी को लेकर भी विवाद शुरू होने के बाद आरएसएस प्रमुख ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों से मुलाकात की। इससे पहले मंगलवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की और हाल के विवादों और देश में धार्मिक समावेश को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। आरएसएस के करीबी सूत्रों के अनुसार, संघ के विचारों के प्रचार और धार्मिक समावेश के विषय को बढ़ावा देने के लिए बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में ज्ञानवापी विवाद, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसी हालिया घटनाओं पर चर्चा हुई।
बैठक में ये लोग रहे माैजूद
बैठक में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एस वाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल (एलजी) नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और व्यवसायी सईद जैसे शेरवानी कई बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इससे पहले राम मंदिर के फैसले के समय भी आरएसएस सक्रिय हो गया था। आरएसएस के वरिष्ठ सदस्यों ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की और यह संदेश दिया कि जो भी आदेश आएगा, उसे सभी शांतिपूर्वक स्वीकार करेंगे। आरएसएस ने हमेशा निर्दिष्ट किया है कि किसी के भी धार्मिक झुकाव के बावजूद राष्ट्रवाद हर किसी के दिल में होना चाहिए।

Posted By: Shweta Mishra