सुभाष चंद्र बोस के शौर्य की गाथा 'आजाद हिंद फौज'
झंडे को लहराया
नेताजी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हॉल के सामने आजाद हिंद फौज से बतौर सुप्रीम कमांडर सेना को सम्बोधित किया और दिल्ली चलो का बिगुल फूंका। 21 अक्टूबर 1943 को बोस ने भारत की अस्थायी सरकार बनाई, जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दे दी। नेताजी ने जुलाई, 1944 को रंगून से रेडियो पर गांधी जी को संबोधित किया और राष्ट्रपिता कहकर पुकारा।
रंगून से जाते हुए गए थे सैनिक
आजाद हिन्द फौज जापानी सैनिकों संग रंगून से 18 मार्च 1944 को कोहिमा और इम्फाल के भारतीय मैदानी क्षेत्रों में पहुंच चुकी थी। 22 सितम्बर 1944 को बोस ने सैनिकों से कहा कि हमारी मातृभूमि स्वतन्त्रता की खोज में है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। आजाद हिंद फौज ने जापानियों संग मिलकर भारत की पूर्वी सीमा और बर्मा से युद्ध लड़ा। पहली बार कोहिमा में भारतीय झंडा लहराया, लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार से आजाद हिंद के सैनिक और अफसरों को अंग्रेजों ने 1945 में गिरफ्तार कर लिया। 18 अगस्त 1945 को जब वह मंचूरिया की ओर जा रहे थे, उनका विमान लापता हो गया।23 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो ने बताया कि सैगोन आते वक्त 18 अगस्त को एक विमान क्रैश हो गया, जिसमें नेताजी गंभीर रूप से जल गए और ताइहोकू सैन्य अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। हालांकि, घटना की पूरी तरह से कभी पुष्टि नहीं हो पाई और रहस्य अभी तक बरकरार है।
ऐसे हुई देशभक्ित के हेडक्वार्टर की खोज
आंकडे एक नजर में :
- 1942 में रासबिहारी बोस ने की थी आजाद हिंद फौज की स्थापना।
- 1943 में टोक्यो रेडियो से घोषणा की थी सुभाष चंद्र बोस ने।
- 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने आजाद हिंद फौज से सुप्रीम कमाण्डर के रूप में सेना को सम्बोधित किया।
- जुलाई, 1944 को रंगून से रेडियो पर गांधी जी को संबोधित किया और राष्ट्रपिता कहकर पुकारा नेताजी ने।
- 22 सितम्बर 1944 को बोस ने अपने सैनिकों से कहा कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
- 1945 में आजाद हिन्द फौज के सैनिक और अधिकारियों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया।
- 18 अगस्त 1945 को जब वह मंचूरिया की ओर जा रहे थे, तभी उनका विमान लापता हो गया।
रंगून से देशभक्ति को आवाज दे रहा शहीदों का खूनInteresting News inextlive from Interesting News Desk