रोहिंग्या मुसलमानों का दर्द : 'हम फुटबॉल जैसे, हर जगह से लात खा रहे हैं'
वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने के लिए वे म्यांमार पर दबाव डालेंगी। दुनिया भर में रोहिंग्या संकट पर चिंता ज़ाहिर की जा रही है।
बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में पहुंच रहे रोहिंग्या मुसलमानों की मानसिक स्थिति क्या है और अपने भविष्य के बारे में वे क्या सोचते हैं, इसका जायज़ा लिया बीबीसी संवाददाता शालू यादव ने।एक बच्चे ने कहा, ''हां हमारे बहुत कम दोस्त हैं, मैने अपने पिता को अपनी आंखों के सामने मरते हुए देखा, परिवार के लोगों को अपने सामने मरते हुए देखा, 10 दिन बाद जब इस शरणार्थी कैम्प में पहुंचा तो यहां कोई अपना जानने वाला नही था, यहां मेरा कोई दोस्त नहीं है। मुझे तो लगता है कि पूरी दुनिया में मेरा कोई दोस्त है।''
अपने वजूद की तलाश में दरबदर भटक रहे रोहिंग्या मुसलमान बेहद परेशान हैं।
एक महिला ने बताया, ''एक वक्त होता था जब हम बहुत गर्व से कहते थे कि हम रोहिंग्या मुसलमान हैं। लेकिन हम अपनी पहचान खोते जा रहे हैं, आज हमें लगता ही नहीं कि हमारा वजूद है भी या नहीं।''बांग्लादेश में मौजूद शालू यादव से बीबीसी हिंदी संवाददाता हरिता कांडपाल ने बात की