छत्तीसगढ़ में 'मोस्ट वांटेड' हैं लोजपा सांसद
इस बारे में रामा किशोर सिंह ने कहा कि चूंकि मामला अदालत में है, इसलिए वो टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.काग़ज़ों में ‘फ़रार’ सांसद को खोजने के लिए पुलिस भी हरकत में आ गई है.छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय का कहना है कि “यह कई साल पुराना मामला है और हमने इस मामले में दुर्ग के आईजी से फ़ाइल मंगवाई है. न्यायालय में मामले की क्या स्थिति है, यह भी पता लगाया जा रहा है.”रामा सिंह भी कहते हैं कि उनके ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़ के दुर्ग की एक अदालत में अपहरण का मामला चल रहा है, लेकिन वो अपना बचाव ये कहकर करते हैं कि इस मामले से ख़ुद को अलग करने के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अर्ज़ी दी है जो विचाराधीन है.सांसद की सफ़ाई
पुलिस का आरोप है कि जयचंद बैद अपहरण और लूट के इस मामले में जिस कार का इस्तेमाल किया गया था, बाद में वह कार रामा किशोर सिंह के घर से ही बरामद हुई थी. जिस समय जयचंद वैद का अपहरण हुआ था, उस समय रामा किशोर सिंह बिहार के महनार इलाक़े के विधायक थे.
चाहे रामा सिंह अदालत में चल रहे मामले पर स्थिति स्पष्ट करने से हिचकिचाते हैं पर बीबीसी ने इस मामले से जुड़े कुछ तथ्य खोज निकाले हैं.छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में इस बारे में ज़्यादा पड़ताल करने पर पता चला कि इस हलफ़नामे को अदालत ने साल 2012 में ही ख़ारिज कर दिया था.अपने चुनावी पर्चे में भी उन्होंने यही उल्लेख किया है कि ये मामला हाई कोर्ट के आधीन है.छत्तीसगढ़ पुलिस ने जयचंद बैद के अपहरण के इस मामले में कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया गया था.कार्रवाई की मांगदुर्ग की अदालत ने इन 13 में से 10 आरोपियों को विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.इसी मामले में एक अन्य आरोपी गोपाल को हाल ही में गिरफ़्तार किया गया है और उसके ख़िलाफ़ अदालती कार्रवाई जारी है जबकि हाल ही में सांसद बने रामा किशोर सिंह और भगवंतिन बाई इस मामले में अब तक फ़रार हैं.बिहार में भी पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर रामा किशोर सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है.
अदालती दस्तावेज़ों के अनुसार जयचंद बैद अपहरण कांड के मामले में पुलिस ने दुर्ग के चतुर्थ अपर न्यायाधीश की अदालत में अभियुक्तों के ख़िलाफ़ 17 अगस्त 2003 को अभियोग पत्र दायर किया था.चार बार प्रोडक्शन वारंट और उसके बाद 2003 से ही जारी ग़ैर मियादी वारंट के बाद भी छत्तीसगढ़ पुलिस रामा किशोर सिंह को गिरफ्तार नहीं कर पाई.