1999 में डॉ. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं डॉ. रीता बहुगुणा और हारी भी पर इस बार बीजेपी की ओर से उन्होंने जीत दर्ज कराई है...

prakashmani.tripathi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: इलाहाबाद संसदीय सीट पर कभी बीजेपी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी से शिकस्त खाने वाली डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के संसद तक पहुंचने का रास्ता बीजेपी ने ही दिया. इसी सीट से 1999 में भाजपा के कद्दावर नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें करीब 50 हजार मतों से पराजित किया था तब वे कांग्रेस प्रत्याशी रूप में चुनाव लड़ी थीं. इस तरह देखा जाए तो रीता जोशी ने इलाहाबाद सीट पर एक सर्किल पूरा कर लिया.

विरासत में मिली है राजनीति
रीता बहुगुणा जोशी के पिता स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा तीन बार इलाहाबाद संसदीय सीट से जीत हासिल कर सांसद बने थे. वे पहली बार 1971 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुने गए थे. उसके बाद 1977 और 1980 में बहुगुणा जी सांसद निर्वाचित हुए थे. डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के सीएम रह चुके हैं.

चुनाव से पहले भाजपा में हुई थी एंट्री
विरासत में राजनीति का ककरहा सीखने वाली डॉ. जोशी का कांगे्रस से 2017 में मोहभंग हो गया था. तब उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने उन्हें लखनऊ कैंट से प्रत्याशी बनाया था. चुनाव में जीत हासिल करने पर डॉ. जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उनके करीबियों में शुमार विजय बहादुर सिंह ने बताया कि अब डॉ. जोशी को अपनी पिताजी के सपनों को साकार करने का मौका मिला है.

पहली महिला मेयर
डॉ. रीता बहुगुणा जोशी 1995 से लेकर 2000 तक मेयर रहीं. वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरी थीं. सपा व बसपा ने उनका समर्थन किया था. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जमुनोत्री गुप्ता को हराया था.

पैनल में था डॉ. जोशी का नाम
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले तक पूरी तरह से कांग्रेसी रही डॉ. जोशी का यह भाजपा से पहला लोकसभा चुनाव है. खास बात रही कि पार्टी की ओर से संसदीय बोर्ड को जो तीन नाम भेजा गया था उसमें डॉ. जोशी का भी नाम शामिल था. लेकिन इलाहाबाद के राजनैतिक गलियारों में लोग किसी और को टिकट दिए जाने का कयास लगा रहे थे. इसमें मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी का नाम सबसे ऊपर था.

Posted By: Vijay Pandey