GST से जुड़ी 7 गलतफहमियां ऐसे करिए दूर
जीएसटी को लेकर जारी शंकाओं और सवालों पर रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया ने रविवार को ट्वीट कर असलियत बताई। कहा, अफवाहों पर ध्यान ना दें। जीएसटी से ईमानदार टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। अढिया ने जीएसटी के बारे में चल रहे 7 मिथक पर ट्वीट कर तस्वीर साफ की। उन्होंने कहा, इसके लागू करने की प्रोसेस पूरी तरह ट्रांसपेरेंट है। उन्होंने बताया कि हर महीने 3 बार नहीं सिर्फ एक बार फाइल करना होगा। जीएसटी आजादी के बाद से देश का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है।
कंफ्यूजन -1 : जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए सभी इनवॉइस कंप्यूटर या इंटरनेट पर ही जेनरेट करनी होंगी।सच्चाई - नहीं। इनवॉइस मैनुअल भी जेनरेट किया जा सकेगा। कंफ्यूजन - 2 : जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए हर वक्त इंटरनेट की जरूरत होगी।सच्चाई : नहीं। इंटरनेट की जरूरत सिर्फ जीएसटी के तहत मंथली रिटर्न फाइलिंग के दौरान होगी।
कंफ्यूजन-3 : मेरे पास प्रोविजनल आईडी है, लेकिन जीएसटी के तहत बिजनेस करने के लिए फाइनल आईडी का इंतजार है।सच्चाई : ऐसा कुछ नहीं है। प्रोविजनल आईडी आपका फाइनल जीएसटीआईएन नंबर है, अपना बिजनेस स्टार्ट करें।
कंफ्यूजन-4 : पहले जब मैं ट्रेड करता था, वह जीएसटी के दायरे से बाहर था। क्या मुझे बिजनेस करने के लिए नए सिरे से रजिस्ट्रेशन की जरूरत है।
सच्चाई : आप अपना बिजनेस जारी रख सकते हैं। बस आपको इतना करना है कि 30 दिनों के अंदर अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें।जानें GST के बाद ATM से ट्रांजैक्शन करना और लोन की ईएमआई पर क्या होगा असर कंफ्यूजन-5 : जीएसटी केतहत हर महीने 3 बार रिटर्न फाइल करना होगा।सच्चाई : नहीं। सिर्फ एक बार ही रिटर्न फाइल करना होगा, जिसके 3 पार्ट होंगे। पहला पार्ट डीलर फाइल करेगा। जबकि बचे दो पार्ट कंप्यूटर खुद भर लेगा। कंफ्यूजन-6 : छोटे डीलर्स को भी रिटर्न फाइल करने के दौरान इनवॉइस के आधार पर पूरी डिटेल देनी होगी।सच्चाई : जो रिटेल बिजनेस (बीटूसी) में हैं। उन्हें टोटल सेल्स की सिर्फ समरी फाइल करनी होगी।पैन और आधार लिंक ना किया तो क्या होगा?कंफ्यूजन-7 : जीएसटी के तहत नए रेट वैट की तुलना में ज्यादा होंगे।सच्चाई : यह सिर्फ देखने में ज्यादा लग रहा है। क्योंकि पहले एक्साइज ड्यूटी और दूसरे टैक्स छिपे हुए होते थे। जीएसटी में इन सबको शामिल कर दिया गया है।Business News inextlive from Business News Desk