रेल बजट में कुछ नहीं, तो क्या बोलें: विपक्ष
पूर्व रेल मंत्री और कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सुरेश प्रभु ने कांग्रेस सरकार में शुरू की गई योजनाओं को ही दोहराया है.उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जब सूचना प्रौद्योगिकी को देश में लेकर आए थे, तो उसका विरोध किया गया था. लेकिन अब उसी आईटी के सहारे रेलवे को आगे बढ़ाने की बात हो रही है.'बजट दिशाहीन'बंसल ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने शुरू में रेलवे में एफ़डीआई पर ज़ोर दिया था, लेकिन इस बजट में एफ़डीआई पर कुछ नहीं कहा गया है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने कहा कि पिछले बजट में जो घोषणाएं की गई थी, उनमें से कितनी पूरी हुई हैं इसकी जानकारी रेल मंत्री ने नहीं दी है.उन्होंने आरोप लगाया कि पहले घोषित की गईं परियोजनाओं में से आधी भी पूरी नहीं हुई हैं.कोरा भाषण
अपने सरकारी आवास पर हुए संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा किरेल बजट में ‘सिर्फ़ डिब्बा’ था ‘पैसेंजर’ नहीं थे.नीतीश के अनुसार बजट में सिर्फ इरादे बताए गए हैं, ये इरादे पूरे कैसे होगे इस बारे में कोई कार्ययोजना पेश नहीं की गई है. सुरक्षा की बातें की गई हैं लेकिन कोई ठोस प्रस्ताव पेश नहीं किया गया है.उन्होंने यह भी कहा कि इसका ध्यान रखा जाना चाहिए कि पिछले दरवाज़े से रेलवे का निजीकरण न हो.नीतीश के अनुसार रेलवे का निजीकरण हुआ तो इसका परिचालन मुश्किल हो जाएगा. दूसरे कई देशों में ऐसी कोशिशें असफल साबित हुई हैं.बुलेट ट्रेन को भारत में हर लिहाज़ से अव्यवहारिक करार देते हुए नीतीश ने कहा कि यह ‘शोकेसिंग’ के लिए ठीक है.उन्होंने चिंता जताई कि बिहार सहित देश भर में चल रही और प्रस्तावित पुरानी रेलवे की बड़ी परियोजना को पूरा करने के संबंध में बजट में कुछ भी साफ़ तौर पर नहीं कहा गया है.नीतीश के अनुसार सांसद निधि से यात्री सुविधाओं और सुरक्षा के लिए पैसे मांगना समाधान नहीं हो सकता. यात्री सुविधा और सुरक्षा रेलवे की ज़िम्मेवारी है और सांसदों से पैसे मांगना अपनी जवाबदेही दूसरों पर डालने जैसा है.