डेंगू से कम खतरनाक नहीं है रैट फीवर
प्रयागराज ब्यूरो । इस सीजन में डेंगू के साथ रैट फीवर बीमारी से भी होशियार रहने की जरूरत है. यह डेंगू से कम खतरनाक नही है. इसके चार मरीज मिले हैं. इसे लेप्टो स्पाइरोसिस भी कहते हैं. अगर घर में अधिक संख्या में चूहे हैं तो होशियार रहने की जरूरत है. क्योंकि चूहों की वजह से रैट फीवर का संक्रमण फैला तो मरीज तेज बुखार से पीडि़त हो सकता है. रैट फीवर बीमारी का डेथ रेट 30 फीसदी है. यही कारण है कि डॉक्टर्स मरीजों को बीमारी की जल्द जांच कराने की सलाह दे रहे हैं. किस तरह से फैलता है रैट फीवर
डॉक्टर्स का कहना है कि रैट फीवर एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है और यह चूहों के द्वारा फैलता है. यह बैक्टीरिया पानी और गीले मैदान में नमी की वजह से पनप जाते हैं. ये सबसे ज्यादा चूहे या पालतू जानवारों को संक्रमित करते हैं. बाद में इन्ही के जरिए दूषित पानी पीने, मुंह, नाक या आंखों के जरिए भी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. इनसे संक्रमित व्यक्ति को तेज फीवर की शिकायत होती है. लक्षण- तेज बुखार, सिर दर्द, ब्लीडिंग, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, लाल आंखें, उल्टी आदि. गंभीर मामलों में सीने में दर्द ओर हाथ पैर में सूजन दिखती है. बचाव
- जानवरों को दस्ताने पहनकर छूना, साफ पानी का सेवन, घाव को खुला मत रखें, इस सीजन में तालाब आदि में नहाने से बचें, बुखार से पीडि़त व्यक्ति से दूरी बनाएंचूहे देखकर लगाया अंदाजाफूलपुर के रंगपुरा गांव में बुखार के अधिक मरीज सामने आ रहे थे. डेंगू की संभावना चलते स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां निरीक्षण किया. देखने पर पता चला कि घरों में बड़ी संख्या में चूहे मौजूद हैं. इसके आधार पर बीस सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज की लैब में एलाइजा जांच के लिए भेजे गए. रिपोर्ट में पता चला कि चार मरीज रैट फीवर से पीडि़त है. बता दें कि एमएलएन मेडिकल कॉलेज की लैब में रैट फीवर की जांच उपलब्ध है. वर्जनइस सीजन मे रैट फीवर के मरीज अधिक सामने आ सकते हैं. यही कारण है कि संदिग्ध मरीजों की जांच कराई जा रही है. घरों में अगर चूहे या पालतू जानवर हैं तो होशियार रहना होगा. इस सीजन में रैट फीवर के फैलने की अधिक संभावना होती है. आनंद कुमार सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी प्रयागराज