रंगभरी एकादशी 2019: 17 मार्च को दूल्हा बने भगवान शिव कराएंगे मां गौरा का गौना, फिर शुरू होगा होली का हुड़दंग
फाल्गुन को बनारस में मस्त महीना कहते हैं। इसमें फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं, इसे आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है।
रंगभरी एकादशी के अवसर पर बाबा विश्वनाथ को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और मां गौरा का गौना करवाया जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद पहली बार उन्हें अपनी नगरी काशी लाए थे। इस खुशी में भगवान शिव के गण रंग—गुलाल उड़ाते हुए और खुशियां मनाते हुए आए थे। रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों के साथ रंग और गुलाल से होली खेलते हैं। इस दिन भोलेनाथ की नगरी रंगों से सराबोर होती है, हर भक्त रंग और गुलाल में मस्त होता है।रंगभरी एकादशी का मुहूर्तइस वर्ष 16 मार्च को एकादशी सायं 6 बजकर 42 मिनट से लगकर रविवार 17 मार्च को शाम 4 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। अतः 17 मार्च को ही रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी। होली का हुड़दंग इसी दिन से ही आरम्भ हो जाता है।
आध्यात्मिक महत्वजो सर्वेश्वर सर्वशक्तिमान अनन्तकोटि ब्रहाण्डनायक भगवान हैं, वे रसरीति से अत्यंत सुलभ साधारण-से हो जाते हैं। कहते हैं- प्रेमदेवता जिसको छू लेता है, वह कुछ-का कुछ हो जाता है। अल्पज्ञ सर्वज्ञ हो जाता है और सर्वज्ञ अल्पज्ञ हो जाता है। अल्पशक्तिमान सर्वशक्तिमान हो जाता है, सर्वशक्तिमान अल्पशक्तिमान हो जाता है।
परिच्छिन्न व्यापक हो जाता है, व्यापक परिच्छिन्न हो जाता है। इस प्रकार प्रेम देवता के स्पर्श से कुछ-का-कुछ हो जाता है। प्रेमरंग में रंगे हुए प्रेमी के लिए सम्पूर्ण संसार ही प्रेमास्पद प्रियतम हो जाता है। यह जो रंगभरी एकादशी होती है, इसमें रंग क्या है? जिसके द्वारा जगत रंग जाता है-'उड़त गुलाल लाल भये अम्बर'अर्थात् गुलाल के उड़ने से आकाश लाल हो गया। आकाश इस सारे भौतिक प्रपञ्च का उपलक्षण है। इस भौतिक जगत की इसमें ब्रहात्मकता का आविर्भाव होता है।— ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्रहोली से पहले होलिका दहन क्यों है महत्वपूर्ण, जानें होलिका पूजन की विधिहोलाष्टक 2019: 8 दिन तक इन दो कारणों से नहीं होंगे शुभ कार्य, जानें भगवान शिव और विष्णु से जुड़ी कथाएं