रमेश सिप्पी नहीं बनाना चाहते 'शोले' का रीमेक
नयी दिल्ली (आईएएनएस) बॉलीवुड में कल्ट और ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रीमेक बनाने का जुनून सवार है, लेकिन फिल्ममेकर रमेश सिप्पी, जिन्होंने 1975 में इंडियन सिनेमा को उसकी सबसे बड़ी हिट्स में से एक 'शोले' दी थी इसके पक्ष में नहीं हैं। करीब 45 साल पहले आई क्लासिक हिट को फिर से बनाया जा सकता है सिप्पी को ऐसा नहीं लगता।
कुछ बहुत इनोवेटिव हो तो सोचेंगेरमेश सिप्पी का कहना है की वे वास्तव में 'शोले' को दोबारा बनाने के लिए उत्सुक नहीं हैं। वो ऐसा केवल एक कंडीशन में सोच सकते हैं जब कोई इसे बहुत अलग तरीके से प्रस्तुत करने का तरीका नहीं बता देता। उनका कहना है कि वरना रीमेकिंग एक ऐसी चीज है जिसे वे 'शोले' के लिए नहीं करना चाहते। सिप्पी ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वह रीमेक के खिलाफ हैं।रीमेक के अगेंस्ट नहींसिप्पी ने माना कि कई फिल्मों को खूबसूरती से बनाया गया है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। यह इस तरह है कि आप किसी विशेष फिल्म और स्टाइल की पूरी दुनिया को फिर से बनाते हैं। वैसे 'शोले' को रीक्रिएट करने के लिए 2007 में राम गोपाल वर्मा ने 'राम गोपाल वर्मा की आग' बनाई थी लेकिन फैंस ने इसे बिल्कुल अस्वीकार कर दिया था और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर फ्लॉप रही।
'शोले' के अलावा, सिप्पी ने 'अंदाज़', 'सीता और गीता', 'शान ', 'शक्ति' और 'सागर' जैसी कई और बॉक्स ऑफिस पर हंगामा करने वाली हिट बॉलीवुड फिल्में बनाई हैं। उन्हें अस्सी के दशक के उनके धारावाहिक 'बुनियाद' के लिए भी जाना जाता है, जो एस समय दूरदर्शन पर कोरोनोवायरस लॉकडाउन के बीच फिर से प्रसारित किया जा रहा है। ये सीरियल मनोहर श्याम जोशी का लिखा एक फेमिली ड्रामा है जो भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पर बेस्ड है।